न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ पहली जीत या हार की हैटट्रिक?
तौक़ीर सिद्दीक़ी
पाकिस्तान के हाथों मिली हारकर के बाद विराट सेना का अगला मुकाबला 31 अक्टूबर को न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ है। भारत के लिए यह मैच बहुत अहम् है, इस मैच में जीत ही टीम इंडिया के सेमीफाइनल में पहुँचने का रास्ता खोल सकती है, विपरीत नतीजा आने पर भारत के लिए अंतिम चार में पहुंचना काफी मुश्किल हो जायेगा, वहीँ न्यूज़ीलैण्ड की भी भारत जैसी ही हालत है, उनके लिए भी सेमी फाइनल में पहुँचने की उम्मीद बरकरार रखने के लिए यह मैच जीतना बहुत ज़रूरी है. दरअसल दोनों ही टीमें पाकिस्तान का शिकार हुई हैं.
भारत की बात करें तो पाकिस्तान से मिली हार बेशक मनोबल तोड़ने वाली ज़रूर थी मगर टीम इंडिया में इतना दम ज़रूर है कि वह इस हार के दर्द को भुलाकर नए सिरे से मुकाबले के लिए तैयार हो जाय. 2017 में भी हम चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान से हारे थे मगर उस हारकर को भी भुलाकर विराट सेना ने जीत के कई इतिहास रचे थे. ग्रुप 2 की बात करें तो सभी जानते हैं कि सेमीफाइनल में पहुँचने की लड़ाई सिर्फ चार टीमों के बीच है, पाकिस्तान पहले दो मैच जीतकर मज़बूत दावेदार बन चूका है, दूसरी टीम की दावेदारी का मुकाबला भारत, न्यूज़ीलैण्ड और अफ़ग़ानिस्तान के बीच है, नामीबिया और स्कॉटलैंड की टीमें तो बस इन टीमों का नेट रन रेट घटाने बढ़ाने के लिए हैं, हालाँकि टी 20 क्रिकेट में कभी भी कुछ भी उलटफेर हो सकता है.
इस लिहाज़ से विराट सेना के लिए कीवियों के खिलाफ जंग जीतना बहुत ज़रूरी है. मैच दुबई में है और मुकाबला दिन रात का है इसलिए टॉस की अहमियत बहुत बढ़ जाती है. दुबई में अभी तक चार मैच खेले गए हैं और सभी मैचों में बाद में बल्लेबाज़ी करने वाली टीम ही जीती है और उसकी बहुत बड़ी वजह ड्यू फैक्टर है यानि रात में पड़ने वाली ओस की वजह से गेंदबाज़ी करनी मुश्किल हो रही है. यही वजह है कि टॉस जीतने वाला कप्तान फ़ौरन बल्लेबाज़ी करने का फैसला करता है. पाकिस्तान की कामयाबी में बाबर की किस्मत का भी बड़ा हाथ रहा जो दोनों बार सिक्के के उछाल में कामयाब रहे। इसलिए उम्मीद करते हैं कि रविवार को विराट का भाग्य पलटेगा और टॉस उनके फेवर में होगा।
जहाँ तक टीम कॉम्बिनेशन की बात है तो विराट कोहली कोई बदलाव नहीं करेंगे, भले ही पाकिस्तान से हार मिली हो पर टीम में बदलाव की गुंजाईश बहुत कम लग रही है. हालाँकि हार्दिक पंड्या का चुनाव ज़रूर पहले मैच में भी चर्चा का विषय रहा और अब भी उन्हीं पर सवाल उठ रहे हैं, पर जिस तरह प्रैक्टिस सेशन में उन्होंने आठ दस ओवर गेंदबाज़ी की उससे तो यही लग रहा है कि वह न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ भी मैदान पर होंगे। दरअसल विराट को हार्दिक की बल्लेबाज़ी में बड़ा विश्वास है, उन्हें यकीन है कि पांड्या अपनी बल्लेबाज़ी से कभी मैच भारत की झोली में डाल सकते हैं. बाक़ी खिलाडियों पर चर्चा बेकार है क्योंकि वह अपनी जगह बेहद मज़बूत हैं. हालाँकि अश्विन की टीम में जगह तो बनती है क्योंकि पाकिस्तान के खिलाफ भी भारत को छठे गेंदबाज़ की कमी खली थी लेकिन तब विराट कोहली को हार्दिक का मोह त्यागना होगा।
भारत की तरह न्यूज़ीलैण्ड की टीम में भी किसी बदलाव की गुंजाईश कम ही है क्योंकि टीम ने पाकिस्तान को कड़ी टक्कर दी थी बल्कि एक समय तो मैच में अपनी पकड़ भी बना ली थी. अगर शोएब मलिक या आसिफ अली में कोई एक बल्लेबाज़ सस्ते में आउट हो जाता तो न्यूज़ीलैण्ड मैच में बाज़ी मार सकता था.
विलियम्सन की कप्तानी में न्यूज़ीलैण्ड के पास टी20 की एक संतुलित टीम है, ICC रैंकिंग में वह चौथे नंबर पर हैं इसलिए विराट सेना को मैच जीतने के लिए काफी दम लगाना होगा।
दोनों ही टीमों ने अभी एक एक मैच ही खेला है और वह भी एक ही टीम के खिलाफ, इसलिए मैच के नतीजे पर कोई भी भविष्यवाणी करना ठीक नहीं। रिकॉर्ड की बात करें तो वह पूरी तरह से कीवी टीम के पक्ष में हैं, क्योंकि अब तक हुए टी 20 विश्व कप में दोनों के बीच दो बार मुकाबला हुआ है और दोनों ही बार जीत न्यूज़ीलैण्ड की हुई है. इसका मतलब यह हुआ कि विराट सेना के ऊपर टी 20 विश्व कप में न्यूज़ीलैण्ड को पहली बार हराने का एक एक्स्ट्रा दबाव भी होगा।
अगर सीमित ओवरों के सभी विश्व कप मुकाबलों की बात करें तो भारत के लिए रिकॉर्ड और भी डरावने लग रहे हैं, अब तक खेले गए 11 मुकाबलों में भारत को सात मैचों में हार मिली है जबकि एक मैच रद्द घोषित किया गया है. पाकिस्तान ने तो विश्व कप मुकाबले में भारत पर जीत हासिल कर हार का सिलसिला ख़त्म कर दिया, अब देखना है कि टीम इंडिया टी 20 विश्व कप में न्यूज़ीलैण्ड पर पहली जीत हासिल करने में कामयाब हो पाएगी या फिर हार की हैटट्रिक बनेगी? हम उम्मीद और दुआ करते हैं कि टी 20 विश्व कप मुकाबलों में न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ हार का यह सिलसिला आगे न बढ़े.