नेपाल से तनाव के लिए देश की ‘विफल’ विदेश नीति जिम्मेदार: अखिलेश
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को नेपाल के साथ मौजूदा तनाव के लिए देश की “विफल विदेश नीति” को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा है कि नेपाल से भारत के विरोध में स्वर उठने लगे है। हालत यहां तक आ गई है कि नेपाल के प्रधानमंत्री नेपाली संसद में भारत विरोधी बयान दे रहे हैं।
सपा नेता ने कहा कि नेपाल भारत का “पुराना और भरोसेमंद दोस्त” था, लेकिन भाजपा की नीतियों के कारण इसने खुद को दूर कर लिया। उन्होंने कहा कि चीन हमारा पुराना प्रतिद्वंदी राष्ट्र है। नेपाल में उसके प्रभाव को रोकने में भाजपा सरकार की नाकामी भारत पर भारी पड़ रही है। नेपाल भारतीय क्षेत्रों पर अपने अधिकार के नक्शे जारी कर रहा है।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री जाहिर तौर पर इस महीने के शुरू में भारत द्वारा उत्तराखंड से लिपुलेख दर्रा तक एक रणनीतिक सड़क का उद्घाटन करने के बाद दोनों देशों के बीच उपजे तनाव को लेकर बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नेपाल इस क्षेत्र पर अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दावा करता है और देश की कैबिनेट ने एक नया नक्शा स्वीकृत किया है, जो यह दर्शाता है। बीजिंग का नाम लिए बिना, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने नई सड़क पर नेपाली विरोध प्रदर्शन में चीनी संभावित भूमिका का संकेत दिया है।
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार की कोरोनोवायरस संकट से निपटने की आलोचना भी की। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के प्रकोप के संबंध में “हजारों एफआईआर” दर्ज की हैं, जिससे यह “एक चिकित्सा के बजाय एक आपराधिक समस्या” जैसा दिखता है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा. “क्वारेंटाइन सेंटर्स की खराब स्थिति और भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण नीति के कारण, लोग वहां जाने से डरते हैं। भाजपा के लोगों को अपना संकीर्ण दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस ने लॉकडाउन के उल्लंघन, जमाखोरी और कालाबाजारी में लिप्त पाए जाने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा प्रवासी मजदूरों को लेजाने के लिए एक हजार बसें मुहैया कराने के प्रस्ताव के संबंध में हाल ही में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यूपी सरकार ने दावा किया था कि पार्टी द्वारा पेश की गई बसों की सूची में कई ऐसी शामिल हैं जिनमें फिटनेस प्रमाण पत्र और बीमा पत्रों की कमी थी। अधिकारियों ने कहा कि सूची में करीब सौ रजिस्ट्रेशन नंबर ऑटोरिक्शा और कारों जैसे वाहनों के थे।