दूसरे देश में बसने के लिए भारतीय दुनिया में सबसे ज़्यादा उतावले
नई दिल्ली: कोरोनावायरस ने भले ही इंटरनेशनल ट्रैवल प्लान्स पर ब्रेक लगाया हो लेकिन यह अमीर लोगों की नए देशों में बसने या रहने की इच्छा पर रोक नहीं लगा पाया है| 2020 में भी ‘रेजिडेंस बाई इन्वेस्टमेंट’ या ‘सिटीजनशिप बाई इन्वेस्टमेंट’ प्रोग्राम्स के लिए पूछताछ करने वालों की लिस्ट में भारतीय टॉप पर रहे।
2019 के मुकाबले इन्क्वायरीज की संख्या बढ़ी
एक एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के मुकाबले इन इन्क्वायरीज की संख्या बढ़ी। बता दें कि भारत में ड्युअल सिटीजनशिप रखने की इजाजत नहीं है। यानी अगर कोई भारतीय किसी दूसरे देश में बसना चाहता है तो उसे भारत की नागरिकता छोड़नी होगी।
अमरीका दूसरे नंबर पर
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीयों के बाद लिस्ट में दूसरे नंबर पर अमेरिका है। कोविड और राजनीतिक फेरबदल के चलते वहां देश छोड़ने की चाह में इजाफा हुआ। 2019 में अमेरिका ‘रेजिडेंस बाई इन्वेस्टमेंट’ या ‘सिटीजनशिप बाई इन्वेस्टमेंट’ प्रोग्राम्स के लिए पूछताछ करने वालों की लिस्ट में छठें पायदान पर था। ‘रेजिडेंस बाई इन्वेस्टमेंट’ या ‘सिटीजनशिप बाई इन्वेस्टमेंट’ प्रोग्राम्स के लिए पूछताछ करने वालों की लिस्ट में तीसरे स्थान पर पाकिस्तानी, चौथे स्थान पर दक्षिण अफ्रीकी और पांचवें स्थान पर नाइजीरियाई हैं। Henley & Partners रेजिडेंस व सिटीजनशिप प्लानिंग से जुड़ी एक ग्लोबल कंपनी है।