Asia Cup Hockey: जापान को हराकर भारत ने जीता ब्रॉन्ज़
स्पोर्ट्स डेस्क
भारत की युवा हॉकी टीम को इंडोनेशिया की राजधानी जर्काता में खेले जा रहे एशिया कप में ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा. भारत बुधवार को जापान के खिलाफ ब्रॉन्ज मेडल मैच खेलने उतरा और 1-0 से जीत हासिल की. भारत के लिए मैच का पहला और इकलौता गोल राजकुमार पाल ने किया. भारत को पहले क्वार्टर में ही 1-0 की लीड हासिल हो गई थी जिसे उन्होंने ने आखिरी समय तक बनाए रखा. जापान की टीम ने कई प्रयास किए लेकिन वह एक भी गोल करने में कामयाब नहीं हो पाई.
भारतीय की युवा हॉकी टीम ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ सुपर चार के मैच में प्रभावशाली और तेज गति वाली हॉकी खेली लेकिन मैच के 4-4 से ड्रॉ होने के कारण टीम मंगलवार को खिताबी दौड़ से बाहर हो गयी थी. इसके बाद उसका लक्ष्य ब्रॉन्ज मेडल था. सुपर चार चरण में भारत, मलेशिया और कोरिया तीनों टीमों का अभियान पांच-पांच अंक पर समाप्त हुए लेकिन बीरेंद्र लाकड़ा की अगुवाई वाली भारतीय टीम गोल अंतर के आधार पर तीसरे स्थान पर रही.
दक्षिण कोरिया से 4 -4 से ड्रॉ खेलने के बाद गोल अंतर के आधार पर फाइनल में जगह बनाने से चूकी गत चैम्पियन भारतीय टीम के लिये सातवें मिनट में राजकुमार पाल ने मैदानी गोल दागा. इसके बाद भारतीय रक्षापंक्ति ने चुस्ती दिखाते हुए जापान को एक भी गोल नहीं करने दिया. भारत ने पहले पांच मिनट में कई हमले बोले लेकिन डी के भीतर उन्हें कामयाबी नहीं मिली. सातवें मिनट में उत्तम सिंह ने जवाबी हमले पर दाहिने फ्लैंक से राजकुमार को गेंद सौंपी जिसने जापानी गोलकीपर तकाशी योशिकावा को छकाकर गोल दाग दिया . तीन मिनट बाद भारत को लगातार दो पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन गोल नहीं हो सका.
पहले क्वार्टर के आखिरी पांच मिनट में जापान ने बराबरी का गोल दागने की बहुत कोशिश की लेकिन भारतीय रक्षापंक्ति काफी मजबूत दिखी. जापान को 20वें मिनट में दो पेनल्टी कॉर्नर मिले जिन्हें भारतीय रक्षापंक्ति ने गोल में बदलने नहीं दिया. दूसरे क्वार्टर में दोनों टीमों ने कई मौके बनाये लेकिन तीसरे क्वार्टर में लय कायम नहीं रख सकीं. ब्रेक के बाद जापान ने आक्रामक खेल दिखाकर फिर लगातार दो पेनल्टी कॉर्नर बनाये लेकिन भारतीय रक्षण को भेद नहीं सके. भारत को एक और गोल करने का मौका भी मिला लेकिन एस वी सुनील के पास पर राजकुमार का शॉट ऊपर से निकल गया. आखिरी दो क्वार्टर में जापानियों ने काफी कोशिश की लेकिन बीरेंद्र लाकड़ा की अगुवाई में भारतीय रक्षण बहुत चुस्त था. जापान को 48वें मिनट में तीन पेनल्टी कॉर्नर लगातार मिले जिन पर गोल नहीं हो सका.