दिल्ली:
पासपोर्ट इंडेक्स ने बुधवार को अपना नवीनतम अपडेट प्रकाशित किया, जिसमें भारत का मोबिलिटी स्कोर बेहद कम हो गया है. भारत के स्कोर में इस साल सबसे बड़ी वैश्विक गिरावट देखी गई है और अब यह 70 हो गया है. साल 2022 में जहां 73 मोबिलिटी स्कोर के साथ भारत की रैंकिंग 138 पर थी, 2023 में यह छह अंक फिसलकर 144वें स्थान पर आ गया है.

ये रैंकिंग पासपोर्ट इंडेक्स में नए फीचर ‘टाइमशिफ्ट’ के जोड़े जाने के बाद जारी की गई है. इस फीचर के जरिए विभिन्न देशों के पासपोर्ट को कई वर्षों के उनके ओवरऑल परफॉर्मेंस पर आंका जाता है. इसी कारण भारत की रैंकिंग महामारी से पहले जो थी, अब उससे काफी गिर गई है.

कहा गया है कि भारत की रैंकिंग में भारी गिरावट यूरोपीय संघ की नीति के कारण हुई है. इस नीति के कारण 2023 में सर्बिया जैसे देशों में जाने वाले भारतीय नागरिकों के लिए अब वीजा की जरूरत पड़ रही है.

अमेरिका और जर्मनी की तुलना में चीन का प्रदर्शन भी इस इंडेक्स में काफी खराब रहा है. चीन ने यूरोपीय यूनियन और भारत, जापान जैसे अपने प्रतिद्वंद्वियों से फ्री वीजा समझौता नहीं किया है, इस कारण इसके प्रदर्शन में गिरावट आई है. पासपोर्ट इंडेक्स में चीन की रैंकिंग 118 है.

एशिया के दो देशों ने इस इंडेक्स में बेहतर स्थान हासिल किया है. दक्षिण कोरिया 174 मोबिलिटी स्कोर के साथ 12वें स्थान पर है जो एशियाई देशों में सबसे अधिक है. वहीं 172 मोबिलिटी स्कोर के साथ जापान 26वें स्थान पर है.

इस साल केवल 10 देशों के मोबिलिटी स्कोर में बढ़ोतरी हुई है. स्वीडन ने जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए पासपोर्ट रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल किया है. रैंकिंग में जिन देशों के मोबिलिटी स्कोर में बढ़ोतरी हुई है, उनमें से 40% देश अफ्रीका से हैं. अफ्रीकी देश केन्या ने इस साल सबसे बड़ी बढ़त दर्ज करते हुए चार स्थानों की छलांग लगाई है.