संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का 8वीं बार अस्थाई सदस्य बना भारत
नई दिल्ली: भारत बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुन लिया गया है। अब भारत 2021-22 कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च संस्था का अस्थाई सदस्य बन जाएगा। 192 वोटों में से भारत के पक्ष में 184 वोट पड़े। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने अपने ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी देते हुए लिखा कि सदस्य देशों ने भारत को भारी समर्थन देते हुए 2021-22 तक के लिए यूएनएससी का अस्थाई सदस्य चुना है। भारत को 192 में से 184 वोट मिले हैं।
भारत पहली बार 1950 में बना था अस्थायी सदस्य
दरअसल, 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 75वें सत्र के लिए अध्यक्ष, सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के सदस्यों के लिए चुनाव कराया था। बता दें कि भारत पहली बार 1950 में अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था और अब आठवीं बार यह जिम्मेदारी मिलने जा रही है।
आयरलैंड मेक्सिको और नार्वे भी बने मेंबर
भारत के साथ आयरलैंड मेक्सिको और नार्वे को भी यह सदस्यता हासिल हुई है। वोटिंग के लिए 192 सदस्य देश मौजूद थे और दो तिहाई बहुमत की जरूरत थी। भारत को 184 वोट मिले। कनाडा यह चुनाव हार गया।
192 में से 184 वोट हासिल हुए
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूतावास ने ट्वीट में बताया, ‘सुरक्षा परिषद में 2021-22 टर्म के लिए सदस्य देशों ने भारत का चुनाव कर लिया। भारत को 192 में से 184 वोट हासिल हुए।’ वर्ष 2021 के 1 जनवरी से भारत संयुक्त राष्ट्र के अस्थायी सदस्य के तौर पर उसके पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका व अस्थायी सदस्य एस्टोनिया, नाइजर, संत विंसेंट और ग्रेनाडाइन्स, ट्यूनिशिया और वियतनाम के साथ बैठेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 देश हैं। इनमें से पांच (अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन) स्थायी सदस्य हैं। जबकि हर साल संयुक्त राष्ट्र महासभा दो साल के कार्यकाल के लिए पांच अस्थायी सदस्यों (कुल 10 में से) का चुनाव करती है। भारत 2021-22 के कार्यकाल के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र से अस्थायी सीट के लिए एकमात्र उम्मीदवार था। भारत की जीत इसलिए भी सुनिश्चित थी, क्योंकि क्षेत्र की एकमात्र सीट के लिए वह अकेला उम्मीदवार है। नई दिल्ली की उम्मीदवारी का सर्वसम्मति से पिछले साल जून में चीन और पाकिस्तान समेत 55 सदस्यीय एशिया-प्रशांत समूह ने समर्थन किया था।