मानसून सत्र में सांसद सरकार से नहीं पूछ सकते सवाल, भड़का विपक्ष
नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच 14 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में प्रश्नकाल को रद्द किए जाने पर राजनीति गर्माने लगी है। तृणमूल कांग्रेस के राज्य सभा सांसद डेरेक ओब्रायन ने प्रश्नकाल को रद्द किए जाने को लेकर नाराजगी जताई है। सदन में आम तौर पहला घंटा प्रश्न काल को समर्पित होता है। इसमें सांसद सरकार से किसी जानकारी या योजना आदि को लेकर सवाल करते हैं। सरकार से विकास के कार्यों को लेकर भी सवाल पूछे जाते हैं। इसे इस बार रद्द कर दिया गया है।
थरूर बोले, मैंने पहले ही जताई थी आशंका
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने बुधवार को कहा, “मैंने चार महीने पहले कहा था कि ताकतवर नेता लोकतंत्र और असहमति को दबाने के लिए महामारी का बहाना करेंगे। संसद सत्र के लिए अधिसूचना जारी की गई, जिसमें घोषणा की गई है कि प्रश्नकाल नहीं होगा। हमें सुरक्षित रखने नाम पर इसे ऐसे उचित ठहराया जा सकता है?
डेरेक ओब्रायन ने जताई नाराजगी
प्रश्न काल को रद्द किए जाने पर राज्य सभा सांसद डेरेक ओब्रायन ने नाराजगी जताते हुए बुधवार सुबह ट्वीट किया कि महामारी के बहाने लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘सांसदों को संसद में प्रश्न काल के लिए 15 दिन पहले सवाल भेजने होते हैं। सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है और प्रश्न काल रद्द कर दिया गया? विपक्षी सांसदों के सवाल पूछने के अधिकार गायब हो गए हैं। 1950 के बाद ऐसा पहली बार? संसद के काम के घंटे पहले जैसे हैं फिर प्रश्न काल को रद्द क्यों किया गया? महामारी का बहान लेकर लोकतंत्र की हत्या की जा रही है।’
इस बार कुछ अलग होगा नज़ारा
ग़ौरतलब है कि इस बार लोक सभा और राज्य सभा अलग-अलग शिफ्ट में होंगे। साथ ही सांसदों के बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके। नए कार्यक्रम के अनुसार लोक सभा का सत्र जहां पहले दिन सुबह 9 से 1 बजे तक चलेगा और बाकी दिन ये तीन से सात बजे के बीच होगा। वहीं, राज्य सभा का सत्र पहले दिन 3 से 7 बजे के बीच और फिर बाकी के दिन सुबह 9 से एक बजे तक चलेगा। साथ ही सभी दिन काम होंगे। इसके अलावा इस बार प्राइवेट मेंबर बिल का समय भी नहीं होगा। जीरो आवर का समय भी कम करके 30 मिनट का कर दिया गया है। इस अवधि में सांसद जनहित के किसी जरूरी मुद्दे को उठाते हैं।