लखनऊ।
ख़तीबे अकबर मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद अतहर साहब व ख़तीबुल इरफ़ान मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद अशफ़ाक़ साहब की बरसी की मजलिस 9 जुन 2024 शब में 8ः30 बजे लखनऊ के तारीख़ी हुसैनियसा आसिफउद्दौला (बड़ा इमामबाड़ा) में मुनअक़िद हुई। मजलिस का आग़ाज़ तिलावते कलामे पाक से क़ारी नदीम नजफ़ी ने किया। जनाब एजाज़ जै़दी, प्रोफ़ेसर अज़ीज़ हैदर बनारस, जनाब मीर नज़ीर बाक़री ने बारगाहे इमामत में नज़रानए अक़ीदत पेश किया। इसके बाद मरजए आला आयतुल्लाह उलउज़मा शेख़ बशीर हुसैन नजफ़ी साहब का पैग़ाम जो ख़तीबे अकबर की बरसी के लिये ख़ास तौर से उन्होंने भेजा था जिसको हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सै0 ज़ामिन जाफ़री ने मोमिनीन के सामने बैठ कर सुनाया। इसके बाद मौलाना एजाज़ अतहर साहब ने ख़ानवादए ख़तीबे अकबर की जानिब से मजलिस में शिरकत करने वाले लाखों मोमिनीन, उमला, खुतबा, शोअरा, मातमी अंजुमनों व क़ौमी इदारों का शुक्रिया अदा किया । इसके अलावा पूरी दुनिया में जो आन लॉइन मोमिनीन मजलिस समाअत कर रहे थे उनका भी शुक्रिया अदा किया। मौलाना यासूब अब्बास साहब ने मजलिस में निज़ामत के फ़राएज़ अंजाम देते हुए हुकूमत हिन्दुस्तान, हुकूमत उत्तर प्रदेश, कमिश्नर पुलिस, ज़िला इंतिज़ामिया, लखनऊ, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, नगर निगम, हुसैनाबाद ट्रस्ट वग़ैरा का शुक्रिया अदा किया। इसके बाद पाकिस्तान से तशरीफ़ लाये आलमी शोहरतयाफ़ता आलिम व ख़तीब हुज्जतुल इस्लाम अल्लामा शहंशाह हुसैन नक़वी साहब ने तारीख़ी मजलिस को खि़ताब किया। अपनी तक़रीर में मौलाना ने कहा कि मैं हिन्दुस्तान में अमन, प्यार और भाईचारे का पैग़ाम ले कर आया हूँ। उन्होंने कहा कि न कोई सुननी दहशतगर्द है न शिया दहशतगर्द है और न ही कोई हिन्दू दहशतगर्द है। मौलाना ने कहा कि नौजवानों को ज़्यादा से ज़्यादा तालीम हासिल करना चाहिये। यही उनके मुस्तक़बिल को बेहतर बनायेगी।

मजलिस में सब से अहम और ख़ास बात यह थी कि हिन्दुस्तान का तारीख़ी बड़ा इमामबाड़ा नाकाफ़ी नज़र आ रहा था बल्कि बड़ा इमामबाड़ा मोमिनीन की कसरत से छोटा नज़र आ रहा था। हर तरफ़ मोमिनीन ही मोमिनीन नज़र आ रहे थे जिसमें बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी शिरकत की।
मजमा न सिर्फ़़ इमामबाड़े बल्कि बुर्जियों तक पर नज़र आ रहा था। पुलिस ने हिफ़ाज़त का बेहतरीन बन्दोबस्त किया और बेहतरीन यातायात का भी इंतिज़ाम किया।

इमामबाड़े में अन्जुमनों, क़ौमी इदारों की जानिब से शरबत और पानी की सबीलें भी लगायी गयी थीं। मजलिस में न सिर्फ़ लखनऊ बल्कि उत्तर प्रदेश और हिन्दुस्तान के दूसरे सूबों से भी बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की।

मजलिस में लाखों की संख्या में हज़रात मोमिनीन के अलावा हज़रात उलमा, खोतबा, शोअरा, मर्सियाख़्वां, मर्सियागो हज़रात, मातमी अंजुमनों, क़ौमी इदारों के हज़रात ने बहुत बड़ी संख्या में शिरकत की। यह इत्तेला रहबर अली ने दी है।