लॉकडाउन में ईद की नमाज कैसे पढ़ें?
डॉक्टर मुहम्मद नजीब क़ासमी
कोरोना वाइरस के कारण देश के अधिकांश हिस्सों में कर्फ्यू या लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। यानी पिछले साल की तरह इस साल भी ईद-उल-फितर की नमाज के लिए ईद गाह या मस्जिदों में बड़े बड़े इज्तेमाआत नही हो सकेंगे।
सबसे पहले, ईद से संबंधित आवश्यक मसाइल को जानें। इस्लाम ने ईदुल फित्र के मौक़ा पर शरई हुदूद के अंदर रहते हुए मिल जुल कर खुशियां मनाने की इजाज़त दी है। ईदुल फित्र के दिन रोज़ा रखना हराम है जैसा कि हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इरशादात में वारिद हुआ है। ईद के दिन गुस्ल करना, मिसवाक करना, हसबे इस्तिताअत उमदा कपड़े पहनना, खुशबू लगाना, सुबह होने के बाद ईद की नमाज़ से पहले खजूर या कोई मीठी चीज़ खाना, ईद की नमाज़ के लिए जाने से पहले सदक़ए फित्र अदा करना, एक रास्ता से ईदगाह जाना और दूसर रास्ते से वापस आना, नमाज़ के लिए जाते हुए तकबीर ((اَللّٰہُ اَکْبَر، اَللّٰہُ اَکْبَر،لَا اِلہَ اِلَّا اللّٰہ، وَاللّٰہُ اَکْبَر، اَللّٰہُ اَکْبَر، وَلِلّٰہِ الْحَمْد)) कहना यह सब ईद की सुन्नतों में से हैं।
ईद की नमाज ईदगाह और मस्जिदों में अदा की जाती है, इसलिए, जहां मस्जिद या ईदगाह में ईद-उल-फितर की नमाज अदा करने की इजाज़त है, तो वहां ईद-उल-फितर की नमाज मस्जिद या ईदगाह में ही अदा करें। हां, जिन क्षेत्रों में लॉकडाउन या कर्फ्यू है, वहां ईद की नमाज़ जुमा की तरह घरों में भी अदा की जा सकती हे, जिसके लिए इमाम के अलावा तीन लोग काफी हैं। ईद की नमाज़ न पढ़ने से बेहतर है कि ईद की नमाज़ घर पर अदा की जाए। कुछ उलामा ने घर में होने वाली जुमआ की नमाज़ से असहमति जताई थी मगर मौजूदा हालात में वे उलामा भी घर पर ईद-उल-फ़ित्र की नमाज़ अदा करने की अनुमति दें ताकि मुसलमान इस समय निराश न हो, और वे कम से कम घर पर ईद की नमाज़ अदा करके खुद को कुछ हद तक संतुष्ट कर सके।
ईदुल फित्र की नमाज: ईदुल फित्र के दिन दो रिकात नमाज़ जमाअत के साथ बतौर शुक्रया अदा करना वाजिब है। ईदुल फित्र की नमाज़ का वक़्त सूरज के निकलने के बाद से शुरू हो जाता है जो ज़वाल तक रहता है, लेकिन ज़ियादा देर करना उचित नहीं है। ईदुल फित्र और ईदुल अज़हा की नमाज़ में ज़ायद तकबीरें भी कहीं जाती हैं जिनकी तादाद में फुक़हा का इख्तिलाफ है, अलबत्ता ज़ायद तकबीरों के कम या ज़्यादा होने की सूरत में उम्मते मुस्लिमा नमाज़ के सही होने पर मुत्तफिक़ है। हज़रत इमाम अबू हनीफा ने 6 ज़ायद तकबीरों के क़ौल को इख्तियार किया है।
ईद की नमाज के लिए आजान व इक़ामत नहीं: जुमआ की नमाज के लिए आजान और इक़ामत दोनों होती हैं। ईद की नमाज के लिए आजान और इक़ामत दोनों नहीं होती हैं।
जुमआ की नमाज के लिए जो शर्तें हैं वही ईद की नमाज के लिए भी हैं, अर्थात् जिन पर नमाजे जुमआ है उन्हीं पर ईद की नमाज भी हैं। जहाँ जुमआ की नमाज जायज है वहीं ईद की नमाज भी जायज है। जिस तरह जगह-जगह जुमआ की नमाज अदा की जा सकती है उसी तरह ईद की नमाज भी एक ही शहर में विभिन्न स्थानों में बल्कि कर्फ्यू या लॉकडाउन जैसी स्थिति में घरों में भी ईद की नमाज अदा कर सकते हैं।
अगर कोई व्यक्ति कर्फ्यू या लॉकडाउन के कारण ईद की नमाज अदा नहीं कर पा रहा है, तो वह दो दो करके चार रकअत चाशत की पढ़ ले। हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ी अल्लाह उनहु से रिवायत है कि जो कोई भी ईद की नमाज़ न पढ़ सके, वह चार रकअतें पढ़ ले। कुछ उलमा ने इससे असहमति जताई है लेकिन यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो कर्फ्यू या लॉकडाउन में ईद की नमाज अदा नहीं कर सकते। घर में अदा होने वाली ईद की नमाज़ में घर की औरतें भी शरीक हो सकती हैं, वे सब से आखरी सफ में खड़ी होंगी।
नमाजे ईद पढ़ने का तरीका: सबसे पहले नमाज की नीयत करें। नीयत असल में दिल के इरादे का नाम है, जबान से भी कहलें तो बेहतर है कि मैं दो रिकअत वाजिब नमाजे ईद छः जायद तकबीरों के साथ पढ़ता हूं फिर अल्लाहु अकबर कहकर हाथ बांध लें और सुबहानका अल्लाहुम्मा..पढ़ें। इसके बाद तकबीरे तहरीमा की तरह दोनों हाथों को कानों तक उठाते हुए तीन बार अल्लाहु अकबर कहें। दो तकबीरों के बाद हाथ छोड़ दें और तीसरी तकबीर के बाद हाथ बांध लें। हाथ बांधने के बाद इमाम साहब सूरए फातिहा और सूरत पढ़ें, मुकतदी खामोश रहकर सुनें। इस के बाद पहली रिकअत आम नमाज की तरह पढ़ें। दूसरी रिकअत में इमाम साहब सबसे पहले सूरए फातिहा और सूरत पढ़ें, मुकतदी खामोश रहकर सुनें। दूसरी रिकअत में सूरत पढ़ने के बाद दोनों हाथों को कानों तक उठा कर तीन बार तकबीर कहें और हाथ छोड़ दें। फिर अल्लाहु अकबर कहकर रुकूअ करें और बाकी नमाज आम नमाज की तरह पूरी करें। ईद की नमाज के बाद दुआ मांग सकते हैं लेकिन खुतबा के बाद दुआ मसनून नहीं है।
खुतबाए ईदुल फित्र: ईदुल फित्र की नमाज के बाद इमाम का खुतबा पढ़ना सुन्नत है, खुतबा आरम्भ हो जाये तो खामोश बैठकर उसको सुनना चाहिये। लॉकडाउन या कर्फ्यू में संक्षिप्त नमाज पढ़ाई जाये और खुतबा संक्षेप में दिया जाये। देखकर भी खुतबा पढ़ा जा सकता है। यदि किसी जगह कोई खुतबा नहीं पढ़ सकता है तो खुतबा के बगैर भी ईदुल फित्र की नमाज हो जायेगी क्योंकि ईद का खुतबा सुन्नत है फर्ज नहीं। कुरआन करीम की छोटी सूरतें भी खुतबे में पढ़ी जा सकती हैं। जुमआ की तरह दो खुतबे दिये जायें, दोनों खुतबों के बीच थोड़ी देर के लिए ईमाम साहब मिमबर या कुर्सी इत्यादि पर बैठ जायें।
ईद की नमाज के बाद ईद मिलना: ईद की नमाज से फरागत के बाद गले मिलना या मुसाफहा करना ईद की सुन्नत नहीं है और इन दिनों कोरोना वबाई मर्ज भी फैला हुआ है, इसलिए ईद की नमाज से फरागत के बाद गले मिलने या मुसाफहा करने से बचें क्योंकि एहतियाती तदाबीर का एख्तियार करना शरीयते इस्लामिया के मुखालिफ नहीं है।