धर्म के व्यवसाय पर कोरोना का कितना बड़ा प्रभाव?
ज़ीनत शम्स
धर्म एक सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवस्था है जो हमारे व्यवहार, नैतिकता, संसार और मानव जीवन का एक व्यापक विचार और मानवता को मिलकर बना है|
धर्म में आस्था से अर्थव्यवस्था भी उत्पन्न होती है क्योंकि धर्म इंसान को कठिन परिश्रम, ईमानदारी, समय का मूल्य, पैसे का सदुपयोग सिखाता है और कठिन परिश्रम के लिए धर्म मानव को प्रेरित करता है |
किसी भी अर्थव्यवस्था पर धार्मिक व्यवस्था भी प्रभाव डालती है और व्यक्ति बाजार के कार्यों पर प्रभाव डालता है क्योंकि बाजार में जिस बात की डिमांड होती है उसी को पूरा करने की बाजार कोशिश करता है|
कोरोना के कारण दुनिया की सारी गतिविधियों के साथ साथ धार्मिक गतिविधियों पर भी विराम लगा हुआ है| सभी धार्मिक संस्थाएं, प्रार्थना और पूजा स्थल बंद हैं जिसका असर निश्चित ही बाज़ारों पर पड़ेगा और जो अर्थ हम धर्म से उत्पन्न बाज़ार से अर्जित करते हैं वह रुक जायेगा जिससे कि उन देशों की अर्थव्यवस्था भी काफी प्रभावित होगी जहाँ धर्म का अधिक प्रभाव है और सबसे ज़्यादा प्रभावित हमारा देश होगा क्योंकि भारत एक बहुधार्मिक देश है| यहाँ पर प्रतिदिन ही कोई न कोई धार्मिक आयोजन चलता रहता लेकिन कोरोना वायरस ने सब कुछ रोक दिया है|
भारत के कुछ मशहूर मंदिरों जैसे शिरडी, सिद्धि विनायक, वैष्णव देवी, वेंकटेश मंदिर, पद्मनाथस्वामी, जगन्नाथपुरी, सबरीमाला, मिनाक्षी मंदिर और काशीविश्वनाथ आदि में तो प्रतिदिन लाखों करोड़ों रूपये का चढ़ावा नगद और स्वर्ण के रूप में आता है| इन मंदिरों के आसपास एक बड़ा बाज़ार विकसित है जिनमें दुकानों पर पूजन सामग्री , वस्त्र और श्रद्धालुओं के खाने पीने का सामान आदि मिलता है | इसके अलावा जिस क्षेत्र में यह मंदिर होते हैं वहां पर्यटन उद्योग भी बड़े पैमाने पर होता है, ट्रांसपोर्टेशन का उपयोग काफी अधिक होता है | इन मंदिरों की व्यवस्ता को सुचारु रूप से चलाने के लिए काफी संख्या में कर्मचारी भी होते हैं जो इन मंदिरों के संचालन में मदद करते हैं|
यह तो बड़े मंदिरों की बात है| इसके अलावा देश के हर भाग में जगह जगह जो मंदिर हैं वहां भी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से बहुत से लोग रोज़गार से जुड़े होते हैं |
मुसलमानों के धार्मिक स्थल भी बंद हैं | मस्जिदों में तो सिर्फ नमाज़ होती है मगर दरगाहों और मज़ारों के आसपास भी होटल, टैक्सी, तबर्रुक, खाना, कपडा आदि सामानों का एक बाजार बन जाता है जहाँ पर लोगों को रोज़गार मिलता है| दरगाहों पर सभी धर्म के लोग जाते हैं| ख्वाजा ग़रीब नवाज़, निजामुद्दीन औलिया, हाजी अली , कलियर शरीफ़, हाजी वारिस अली शाह, किछौछा शरीफ़ आदि कुछ विश्व प्रसिद्ध दरगाहें हैं जहां पर भारी संख्या में ज़ायरीन जाते यहीं और चढ़ावा चढ़ाते हैं|
मुसलमानों के लिए हज का महत्त्व बहुत बड़ा है| इस महा धार्मिक आयोजन से अरबों रूपये का व्यवसाय अर्जित होता है| सऊदी अरब में तो पर्यटन से जुड़े लोगों के पूरे साल की इनकम होती है| हज के दौरान इमारतें भारी किराये पर उठती हैं, इन इमारतों के मालिकों को इस बार काफी नुक्सान उठाना पड़ सकता है| दुनिया भर की एयरलाइन्स जो लाखों हाजियों को हज यात्रा कराती हैं इस बार काफी बड़ा झटका लगने वाला है|
सिखों के गुरुद्वारों में भी लंगर चलता है जिससे बहुत से भूखों का पेट भरता है| वहां पर भी बहुत से कर्मचारी काम करते हैं जो गुरूद्वारे की व्यवस्था संभालते हैं | ईसाईयों के चर्च भी बंद हैं, वहां भो लोग सेवाएं देते हैं|
कोरोना वायरस के कारण बंद हुए धर्म स्थलों से वह व्यापारी जो इन धर्म स्थलों के आस पास व्यापार करते हैं और जो दुकानों में काम करते हैं , वह भी प्रभावित हुए हैं | इन दुकानों में सामान सप्लाई करने वाले भी प्रभावित हुए हैं| इन सामानों का प्रोडक्शन करने वाले भी प्रभावित हुए हैं| अर्थात एक लम्बी कड़ी है जो सीधे तौर पर या किसी दूसरे रूप में धर्म के व्यवसाय से जुडी है , प्रभावित हुई है | ज़ाहिर है अर्थव्यवस्था पर इसका असर तो पड़ेगा ही|
हिन्दू समाज में कथा, प्रवचन, रामायण पाठ , भागवत आदि धार्मिक आयोजन बड़े पैमाने पर होते हैं जिससे पूजन समाग्री से लेकर टेंट, कैटरिंग आदि का काम जुड़ा होता, बंद हो गया है | कोरोना का प्रभाव आगे धार्मिक आयोजनों भी पड़ेगा क्योंकि कोई भी धार्मिक आयोजन श्रद्धालुओं के बिना नहीं होता और श्रद्धालुओं की भीड़ के बिना इन आयोजनों का उद्देश्य ही ख़त्म हो जाता है | इन धार्मिक आयोजनों में देश और विदेश से लोग शामिल होने आते हैं जिससे भी काफी आय अर्जित होती है लेकिन आगे इसपर कितना असर पड़ने वाला है कहना मुश्किल है |
बिजनेस टुडे के अनुसार देश के प्रमुख धार्मिक स्थल तिरुपति बालाजी मंदिर से 1300 सेवकों को कार्यमुक्त कर दिया गया | जब इतने बड़े मंदिर अपने कर्मचारियों को कार्यमुक्त कर रहे हैं तो आप सोच सकते हैं कि स्थिति कितनी भयानक होने वाली है| धर्म से जुड़े व्यवसाय कोरों का आफ्टर इफ़ेक्ट कितना बड़ा होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा|