देश में पिज्जा की होम डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं? केजरीवाल का पीएम मोदी से सवाल
नई दिल्ली: दिल्ली में राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना (door step delivery scheme) पर रोक के बाद दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार में तल्खियां बढ़ती जा रही हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस मसले को लेकर सीधे पीएम से बात करने की इच्छा जाहिर की है. उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री जी आज मैं बेहद व्यथित हूं और सीधे आपसे बात करना चाहता हूं. अगर मुझसे कोई भूल हो जाए तो मुझे माफ कर दीजिएगा.”
दिल्ली में अगले हफ्ते से घर का राशन पहुंचाने का काम शुरू होने वाला था. यानी अब किसी व्यक्ति को राशन के लिए धक्के नहीं खाने पड़ते बल्कि राशन उसके घर आ जाता इसके लिए सारी तैयारी हो चुकी थी और अगले हफ्ते से शुरू होने वाला था. यह क्रांतिकारी कदम होने वाला था और अचानक आपने 2 दिन पहले इसको रोक दिया. बीते 75 साल से देश की जनता राशन माफिया से परेशान होती आई है. यह राशन माफिया बहुत ताकतवर है. आज से 17 साल पहले मैंने इस माफिया को ललकार ने की हिम्मत की थी उस समय मैं दिल्ली की झुग्गियों में एक एनजीओ में काम करता था.
केजरीवाल ने कहा कि उस समय हम पर 7 बार हमले हुए और हमारी एक बहन का गला भी काटा गया. तब हमने कसम खाई कि हम 1 दिन इस सिस्टम को ठीक करेंगे. राशन माफिया के तार बहुत ऊपर तक है. 75 साल में आज तक कोई सरकार इस माफिया को खत्म करने की हिम्मत नहीं कर पाई. दिल्ली में पहली बार एक सरकार आई है जिसने यह हिम्मत दिखाई है. अगर यह घर का राशन योजना लागू हो जाती तो यह राशन माफिया खत्म हो जाता. अगले हफ्ते से यह योजना लागू होने वाली थी और इस राशन माफिया ने इसको खारिज करवा दिया. यह कहा जा रहा है कि हमने केंद्र सरकार से इसकी मंजूरी नहीं ली हमने एक बार नहीं बल्कि 5 बार आपकी मंजूरी ली है.
केजरीवाल ने कहा कि कानूनन हमें इस स्कीम को लागू करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं है, इसे राज्य सरकार लागू करने के लिए सक्षम है. हम केंद्र सरकार के साथ टकराव नहीं चाहते थे, इसलिए 5 बार आपकी मंजूरी ली. मार्च महीने में आप की सरकार ने कुछ आपत्ति लगाई, हमने वह सारी आपत्ति दूर कर दी. आपने कहा कि इस योजना का नाम मुख्यमंत्री के नाम से नहीं रख सकते, तो हमने मुख्यमंत्री का नाम हटा दिया. जो भी आपत्ति आपने कि हमने सारी मान ली और उसके बाद भी आप कहते हैं कि हमने आपकी मंजूरी नहीं ली. बताइए कैसे मंजूरी ली जाती है? इस सबके बाद भी आपने यह योजना खारिज कर दी क्यों?
अगर इस देश में पिज़्ज़ा, बर्गर, स्मार्टफोन कपड़ों की होम डिलीवरी हो सकती है तो गरीबों के घरों में राशन की होम डिलीवरी क्यों नहीं होनी चाहिए? सारा देश जानना चाहता है आपने यह स्कीम खारिज क्यों की? आपने यह भी लिखा है कि कोर्ट में केस चल रहा है इसलिए यह योजना खारिज की जा रही है. इस बात पर योजना कैसे खारिज हो सकती है? अगर आप राशन माफिया के साथ खड़े होंगे तो देश के गरीबों का क्या होगा?