हेमंत सिंह वन्स मोर
- नवेद शिकोह
किसी सरकार की बेहतर नियत और इरादों के पहियों की गाड़ी तब ही जन कल्याण के रास्तों पर दौड़ पाती है जब अफसरशाही रूपी गाड़ी के पहिए दुरुस्त हों। और ये सरकार का विवेक होता है कि वो अफसरशाही की पोटली में पत्थरों और मोतियों को कैसे पहचाने और इनसे किस तरह काम लेती है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार गुदड़ी के लालों को पहचानने में माहिर होती जा रही है। ऊपर से नीचे तक जिम्मेदार अफसरों को ख़ास जिम्मेदारियां दे रही है। दावों, आकड़ों, फाइलों और बातों के बजाय जमीन पर जनहित और जन कल्याणकारी हकीकत पेश करने वाले अफसरों की सही फिल्डिंग शासन की पिच पर बैठाई जाती रही है। अपने रिपोर्ट कार्ड में सौ मे सौ नंबर प्राप्त करने वाले छोटे-बड़े अफसरों का ही प्रमोशन या कार्यविस्तार किया जा रहा है। अपने उच्च अधिकारियों,अधीनस्थ कर्ममचारियों, आम जनता या विभाग से संबंधित लोगों की कसौटी पर खरे उतरने वाले ईमानदार अफसरों की कार्यकुशलता, कर्मठता और ईमानदारी के आधार पर अफसरों को अहम जिम्मेदारियां दी जा रही हैं।
आम इंसान हो या सरकार, सबको सूचना के महत्व को समझना बेहद जरूरी होता है। सरकार के विकास, रोजगार, कानून व्यवस्था, जनकल्यणकारी कार्यों और उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार और सही जानकारियां जनता तक पंहुचने में सूचना तंत्र का बड़ा योगदान होता है।
मजबूत सूचनातंत्र योगी सरकार की बड़ी ताकत बना है। अपर मुख्य सचिव सूचना, प्रमुख सचिव सूचना और निदेशक सूचना जैसे पदों पर जिम्मेदार अफसरों की कार्यकुशलता सिर चढ़ कर बोल रही है। बेहतर अफसरों की कद्र की भावना की कड़ी में सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक हेमंत सिंह को पुनर्नियुक्ति दी गई है। अपने काम के प्रति ईमानदार, कर्मठ, जुझारू और व्यवहार कुशल हेमंत सिंह 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हुए और एक मार्च को उन्हें पुनर्नियुक्ति दे दी गई। विशेष कार्याधिकारी/संयुक्त निदेशक पर इन्हें अभी 6 महीने के लिए पुनर्नियुक्ति दी गई है। सूचना विभाग में विभिन्न जिम्मेदारियां निभा चुके हेमंत सिंह की कार्यकुशलता और कुशल व्यवहार के कारण वो दशकों से आलाधिकारियों, अधिनस्थ कर्मचारियों, आम जनता और पत्रकारों के हर दिल अज़ीज रहे हैं। अपने सूचना तंत्र के माध्यम से सरकार की उपल्बधियों और जनकल्यणकारी योजनाओं को जनता तक पंहुचाने में माहिर हेमंत मीडिया कॉर्डिनेशन के भी जादूगर कहे जाते रहे हैं। पुराने दौर से आज के दौर में सूचना के सबसे बड़े माध्यम मीडिया में काफी तब्दीलियां आईं। पत्र-पत्रिकाओं जैसे पारंपरिक प्रिंट मीडिया के बाद टीवी चैनलों और एजेंसियों की बहार आ गई। और फिर डिजिटल मीडिया ने अपना दायरा तेज़ी से फैला दिया। बड़े ब्रांड अखबारों से 95℅ अधिक मंझोले, लघु स्थानीय अखबारों की संख्या भी बढ़ी।
छोटे अखबार-बड़े अखबार, न्यूज चैनल्स और डिजिटल मीडिया.. सबके बीच सामंजस्य बनाया आसान नहीं था। ऐसी जटिल जिम्मेदारी निभाने की कसोटी में में हेमंत सिंह खरे उतरते रहे।
इस अफसर के सेवा विस्तार/पुनर्नियुक्ति से पत्रकारों और सूचना से जुड़े कर्मचारियों में खुशी की लहर है। सोशल मीडिया पर इस अफसर को बधाईयां तांता लगा है। लोग इनकी खूबियों का बखान कर रहे हैं। एक बुजुर्ग सहाफी अपने तजुर्बों के आधार पर कहते हैं- काम का बोझ जितना भी हो हेमंत के चेहरे पर मुस्कुराहट कायम रहती है। हर किसी खास ओ आम से प्यार से मिलते हैं। हर किसी की जायज़ समस्या का समाधान करते हैं। शीतकाल को हेमंत कहते हैं। हेमंत सिंह अपने नाम के अनुरूप ठंडे-ठंडे कूल-कूल भी हैं और उनके काम और व्यवहार में गर्मजोशी भी है।
इसीलिए हर कोई यही चाहता था-
दिल मांगे मोर, वन्स मोर हेमंत सिंह।