न्यूज़ डेस्क
नोएडा वासियों की सुरक्षा के लिए हेलमेट बैंक बना रहे हैं हेलमेट मैन. जिले का कोई भी व्यक्ति अपनी आईडी दिखा कर गाड़ी नंबर के साथ निशुल्क BSI ब्रांड हेलमेट का लाभ ले सकता है. यह सुविधा सिर्फ 7 दिनों के लिए रहेगी उसके बाद फिर वापस करना होगा हेलमेट, आवश्यकता पड़ने पर दोबारा भी ले सकता है. सुबह 6:00 बजे से लेकर रात को 8:00 बजे तक हेलमेट बैंक 365 दिन खुला रहेगा. पहली शाखा ग्रेटर नोएडा के परी चौक से शुरुआत होगी और जिस क्षेत्र में दुर्घटना ज्यादा होगी या फिर हेलमेट लगाने वालों की संख्या कम रहेगी उस क्षेत्र में हेलमेट बैंक की शाखाएं बढ़ती रहेंगी. हेलमेट बैंक में बड़ों से लेकर छोटे 4 साल की उम्र तक के बच्चों के लिए भी हेलमेट की उपलब्धता रहेगी. हेलमेट मैन के कार्यों की सराहना करते हुए हेलमेट बैंक की पहल को पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह, जिला अधिकारी सुहास एलवाई, ने ट्रैफिक विभाग डीसीपी गणेशा साहा और प्राधिकरण को पत्र भेजकर यातायात माह के भीतर ही इस योजना को शुभारंभ करने को कहा है.वही प्राधिकरण से जगह मिलने की अनुमति का इंतजार है.

हेलमेट मैन का असली नाम राघवेंद्र कुमार है लेकिन अब इन्हें दुनिया हेलमेट मैन के नाम से जानती हैं. गौतम बुद्ध ने धर्म चक्र का विस्तार किया वही हेलमेट मैन सुरक्षा चक्र का विस्तार कर रहे हैं. फर्क सिर्फ इतना है पहला गौतम बुद्ध जन्म से राजा था और अभी का गौतम बुध जन्म से ही गरीब है.उद्देश्य सिर्फ एक ही है लोगों की जान बचाना मानव धर्म का पालन करना. अपने कार्यों के प्रति समर्पित होकर अपनी संपत्तियों को बेचकर पिछले 7 साल से भारत के अलग-अलग राज्यों में 50 हजार हेलमेट बांट चुके हैं. और 8 लाख जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क किताबें पहुंचा चुके हैं. पढ़े लिखे लोगों से उनकी पढ़ी हुई पुस्तक मांगते हैं और बदले में हेलमेट देते हैं उन पुस्तक को लाइब्रेरी और जरूरतमंद बच्चों को फ्री बांट देते हैं.इनका मानना है भारत की सड़कें तभी सुरक्षित हैं जब उन सड़कों पर गाड़ी चलाने वाले लोग साक्षर हो. देश 75 साल आजादी के बाद 100% साक्षर नहीं हो पाया जिस रफ्तार से भारत की सड़कें विदेशी तकनीकी से विकास कर रही है विदेशी टेक्नोलॉजी वाली गाड़ियां फर्राटे भर रही हैं. उसका दुखद परिणाम भी सड़क दुर्घटनाओं में भारत की जनता भुगत रही है इसी कारण भारत में सड़क दुर्घटना बहुत बड़ी महामारी का रूप ले चुकी है.

विश्व में सबसे ज्यादा मौत सड़क दुर्घटनाओं से भारत में हो रही है. सड़क पर गाड़ी चलाने वाला व्यक्ति सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक होकर यातायात नियमों का अगर पालन करें तो मौत की रफ्तार अपने आप रुक जाएगी. लेकिन भारत में यह संभव नहीं है क्योंकि सड़क पर निर्दोष लोगों की जान लेने वाले जो लोग सजा काट रहे हैं उनमें से अधिकतर लोग पढ़े लिखे नहीं हैं. कुछ लोग सिर्फ पांचवी पास है भारत में अधिक पढ़े लिखे नहीं होने की वजह से लोग ड्राइवर बन जाते हैं. जो सड़क पर गाड़ी चलाते समय यातायात निर्देशों को नहीं समझ पाते हैं और सड़कों पर गाड़ी चलाते वक्त उनकी सोच दूसरों की सुरक्षा के प्रति बहुत कम होती है और दूसरों की लापरवाही की वजह से भारत में प्रतिवर्ष लाखों लोगों की जान चली जाती है. इनमें से कुछ पढ़े लिखे लोग भी हैं जो सड़कों पर चलते वक्त यातायात नियमों का पालन ना करना अपनी आदत बना लिए हैं जो भविष्य की दुर्घटनाओं से अनजान रहते हैं.