हमीरपुर: नन्ही रक्षा के हृदय की हुई सफल सर्जरी
- आरबीएसके टीम की मदद से बच्ची का हरियाणा में हुआ उपचार
- जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित थी रक्षा, धीरे-धीरे बिगड़ने लगी थी सेहत
हमीरपुर
एक साल दो माह की रक्षा का दिल अब सामान्य तौर पर धड़कने लगा है, लेकिन जब वह पैदा हुई थी, तब ऐसा नहीं था। वह जन्मजात दिल की गंभीर बीमारी से ग्रसित थी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की मदद से बच्ची की हरियाणा के पलवल श्री सत्यसाईं हॉस्पिटल में सफल सर्जरी हो चुकी है।
मुस्करा ब्लाक के खड़ेहीलोधन गांव के रविकरन पेशे से किसान हैं। बताते हैं कि रक्षा उनकी पहली संतान है। जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित थी। जैसे-जैसे वह बड़ी हुई वैसे-वैसे रोग गंभीर होने लगा। जब इस बात की पुष्टि हो गई कि बच्ची हृदय रोग से ग्रसित है तब उन्हें गांव के स्वास्थ्य कर्मी से आरबीएसके के बारे में पता चला। वह यहां टीम से मिले। टीम ने उनकी मदद करते हुए बच्ची को अपने माध्यम से हरियाणा के पलवल भिजवाया। नौ माह की रक्षा को लेकर वह हरियाणा गए। वहां से चार माह की दवाएं मिली। उसके बाद पुन: हरियाणा पहुंचे जहां 8 अप्रैल को रक्षा की सफल सर्जरी हुई। बच्ची अब ठीक है, और पिता रविकरन पूरी तरह से संतुष्ट हैं। वह बताते हैं कि रक्षा जब पैदा हुई थी तब उसका दिल बहुत तेज धड़कता था। बच्ची के माथे से पसीना आता था। चार माह की होते-होते कमजोर होने लगी। जिसके बाद उनकी चिंता बढ़ गई थी।
बुधवार को सीएमओ कार्यालय आए रविकरन को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रामअवतार सिंह, आरबीएसके के नोडल अधिकारी डॉ.एलवी गुप्ता और डीईआईसी मैनेजर गौरीश राजपाल ने बच्ची के उपचार संबंधी प्रपत्र मुहैया कराए। अभी रविकरन को बच्ची को लेकर पुन: एक माह बाद पलवल जाना है।
जन्मजात विकारों से ग्रसित 23 बच्चों की कराई गई सर्जरी
आरबीएसके के नोडल अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2022-23 में आरबीएसके की टीमों ने जनपद के विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में विजिट करके 3.31 लाख के सापेक्ष 2.88 लाख बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया था। जिसमें 21350 बच्चे विभिन्न विकारों से ग्रसित मिले थे, जिन्हें उपचार के लिए रेफर किया गया था। इनमें से 21205 बच्चे उपचारित किए गए थे। इन्हीं बच्चों में से प्रसव केंद्रों से 23 बच्चे ऐसे थे जिन्हें सर्जरी की आवश्यकता थी। जिनमें 6 बच्चों के होंठ-तालू कटे हुए थे। 14 बच्चों के पैर के पंजे मुड़े हुए थे और तीन बच्चे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के तथा दो बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित थे, जिनमें एक बच्ची का उपचार अभी प्रोसेस में चल रहा है।