हमीरपुर: गर्भस्थ शिशु की सेहत का हाल जानें फोर डी स्कैन से
- गर्भावस्था के बीसवें सप्ताह में महिलाएं कराएं फोर डी स्कैन
- विकारों के बारे में समय रहते मिलेगी जानकारी
- नवजात शिशुओं को हाइपोथर्मिया से बचाव के बारे में किया गया जागरूक
हमीरपुर ब्यूरो
नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के तहत गुरुवार को जिला महिला अस्पताल में गर्भवती व प्रसूता महिलाओं को बच्चों के बेहतर देखभाल के बारे में जागरूक किया गया। बीस सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान फोर डी स्कैन कराने की सलाह दी गई ताकि गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत का सही पता चल सके। सर्दी के मौसम को देखते हुए नवजात शिशुओं को हाइपोथर्मिया से बचाव के प्रति जागरूक किया गया ।
जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. फौजिया अंजुम नोमानी ने बताया कि सही तरीके से देखभाल से नवजात शिशु को स्वस्थ जीवन मिलता है। देखभाल में जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। बीस सप्ताह की गर्भवती को फोर डी स्कैन अवश्य कराना चाहिए। इससे गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के बारे में पहले से जानकारी हो जाती है । ऐसा करने से नवजात को जन्मजात विकारों से बचाया जा सकता है । इससे बचने के लिए गर्भवती को आयरन और फोलिक एसिड की गोली अवश्य खानी चाहिए। फोलिक एसिड की गोली न खाने की वजह से ही बच्चों में जन्मजात विकार होते हैं।
सिक न्यूबार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के डॉ. सुमित ने बताया कि फोर डी स्कैन से बच्चों के सिर, हृदय, जननांग, किडनी और रीढ़ की हड्डी में होने वाले विकारों के बारे में जानकारी हो जाती है। ऐसे शिशुओं का जन्म के बाद ज्यादा दिनों तक जीवित रहना मुश्किल होता है या फिर वह दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं। ऐसा कोई भी लक्षण मिलने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। ऐसी महिलाएं अवश्य फोर डी स्कैन कराएं, जिन्होंने किसी वजह से अपने पहले बच्चे को खो दिया है। फोर डी स्कैन हैलट (कानपुर) में नि:शुल्क होता है।
डॉ. सुमित ने महिलाओं को जागरूक करते हुए बताया कि नवजात शिशुओं की सर्वाधिक मौतें हाइपोथर्मिया की वजह से होती हैं। इसलिए ढाई किलो से कम वजन के नवजात को कंगारू मदर केयर (केएमसी) दें। तीन से चार जोड़ी कपड़ें पहनाएं। सिर में टोपी, पैर में मोजे और हाथों में दस्तानें पहनाएं रखें।
इस साल जन्मजात विकारों से ग्रसित 32 बच्चों ने लिया जन्म
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. फौजिया अंजुम नोमानी ने बताया कि एक जनवरी से लेकर अब तक जिला अस्पताल में जन्मजात विकारों से ग्रसित 32 बच्चों ने जन्म लिया है, जिनमें किसी बच्चे का सिर का आकार बड़ा था तो किसी के सिर में पानी की शिकायत थी। रीढ़ की हड्डी में फोड़े (न्यूरोल ट्यूब डिफेक्ट) और जननांग संबंधी विकार भी थे। इन सभी नवजात को उच्च चिकित्सा के लिए यहां से रेफर किया गया है। बीते अक्टूबर माह में सर्वाधिक सात जन्मजात विकारों से ग्रसित नवजातों का अस्पताल में जन्म हो चुका है।