हमीरपुर:
आगामी फरवरी माह में शुरू होने वाले राष्ट्रीय फाइलेरिया अभियान को सफल बनाने को लेकर सोमवार को स्थानीय टीबी सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

एसीएमओ डॉ. महेशचंद्रा ने भी फाइलेरिया रोग को लेकर लोगों में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने और दवा के प्रति लोगों को जागरूक करने की अपील की। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। खासतौर से हाथ-पैर में सूजन, अंडकोष और महिलाओं के स्तन के आकार में परिवर्तन फाइलेरिया का सूचक है। सूखी खांसी भी फाइलेरिया का एक लक्षण है।

जिला मलेरिया अधिकारी आरके यादव ने बताया कि आगामी 10 फरवरी से 27 फरवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जाएगा। सप्ताह के चार दिवसों सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक अभियान के तहत दवा खिलायी जाएगी। छूटे हुए घरों का मॉपअप सप्ताह के दो बुधवार एवं शुक्रवार को होगा।

कार्यशाला में डॉ. शिवकांत (पाथ) ने बताया कि फाइलेरिया ऐसा रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति को जीते जी कष्टों में घेरे रहता है। व्यक्ति का सामाजिक भेदभाव झेलना पड़ता है। अभियान इसी उद्देश्य से चलाया जा रहा है ताकि लोग इस बीमारी के बारे में जागरूक हो और अभियान के दौरान दवा खाकर अपनी और अपने परिवार की इस बीमारी से सुरक्षा करें। उन्होंने बताया कि युवाओं में भी फाइलेरिया के प्रसार का प्रतिशत बढ़ा है, जो चिंता की बात है। कार्यशाला में मौजूद सभी एमओआईसी, बीसीपीएम, बीपीएम से आह्वान किया कि वह अपने-अपने क्षेत्र में फाइलेरिया से उच्च जोखिम वाले क्षेत्र चिन्हित कर लें जहां काफी संख्या में फाइलेरिया के रोगी मिले हैं| ताकि इन क्षेत्रों के लोगों को अवश्य खिलाई जा सके। हाथ-पैर में सूजन वालों को डीईसी की दवा जरूर खानी चाहिए। डॉ. रविराज (पाथ) ने भी फाइलेरिया की रोकथाम और माइक्रोप्लान पर चर्चा की। उन्होंने दवा खिलाने वाली टीम को पूर्णरूप से प्रशिक्षित करने को कहा.
कार्यशाला में एसीएमओ डॉ. कमलेशचंद्र, डॉ. अनूप निगम, जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अनिल यादव, डीपीएम सुरेंद्र साहू, एमओआईसी कुरारा डॉ. सुनील जायसवाल सहित ब्लाकों के बीसीपीएम और बीपीएम मौजूद रहे।