मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का पालन होता तो बच जाती मासूमों की जान
● सड़क, शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य केंद्र और रोजगार से वंचित है खुटंहा और बड़वान के ग्रामीण
● आइपीएफ टीम ने किया दौरा, मृतकों के परिजनों और बीमार बच्चों से की मुलाकात
● 15 सितंबर को म्योरपुर धरने में उठेगा मासूमों की मौत का सवाल
म्योरपुर, सोनभद्र:
बेलहत्थी गांव के रजनी टोला में पूर्व में हुई बच्चों की मौतों के संदर्भ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिए निर्देशों का उत्तर प्रदेश शासन और जिला प्रशासन ने अनुपालन किया होता तो खुटंहा और बड़वान टोला में फैली बीमारी से मासूम बच्चों की जान को बचाया जा सकता था। यह बातें ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की टीम ने बेलहत्थी के दौरे के बाद प्रेस को जारी बयान में कहीं। आइपीएफ की टीम ने वहां के लोगों के जीवन पर आए संकट के संबंध में अध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजने की भी बात और 15 सितंबर को म्योरपुर ब्लॉक में आयोजित धरने में ग्रामीणों के जीवन सुरक्षा के सवाल को उठाने की बात कही। आइपीएफ की टीम में प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, तहसील संयोजक शिव प्रसाद गोंड, इंद्रदेव खरवार, रमेश सिंह खरवार व जीत सिंह गोंड़ शामिल रहे।
टीम को ग्रामीणों ने बताया कि अभी भी वहां के ग्रामीण रिहंद डैम के जहरीले पानी को पीने के लिए मजबूर हैं। बड़वान और खुटंहा टोला में जाने के लिए सड़क नहीं है। परिणामतह बीमार लोगों को एंबुलेंस से ले जा पाना असंभव है। टीम से वार्ता के दौरान ही चेचक से पीड़ित मीना कुमारी पुत्री रघुनाथ बेहोश हो गई उसकी स्थिति बेहद खराब है। लेकिन कल मेडिकल कैंप लगाने वाली टीम उसे अस्पताल लेकर नहीं गई। गांव में बड़े पैमाने पर चेचक और डायरिया फैला हुआ है और मृतक रामकुमार उम्र 3 वर्ष के पिता गिरधारी ने बताया कि उसके बच्चे की स्लाइड जांच में मलेरिया और टाइफाइड निकला था। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गांव में पिछले 1 साल से मलेरिया रोधी दावों का छिड़काव नहीं किया जा रहा है और इस संबंध में जब कल गई डॉक्टरों की टीम से कहा गया तो उन्होंने कहा कि मच्छरों को मारना जरूरी नहीं है क्योंकि मच्छरों से तिलहन की फसल अच्छी होती है। यह ग्रामीणों के स्वास्थ्य के साथ किया गया क्रूर मजाक है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गांव में रोजगार का जबरदस्त अभाव है। एक साल से मनरेगा ठप पड़ी हुई है और पिछले वर्ष बड़वान टोला में जो सड़क का काम करवाया गया उसकी मजदूरी भी बकाया है।
आईपीएफ की टीम ने जिला प्रशासन से तत्काल पहल करके गंभीर बीमार बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने, बड़वान और खुटंहा टोला तक पक्की सड़क निर्मित करने, गांव में मलेरिया रोधी दवा का छिड़काव करने, रजनी टोला में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने, मृतक बच्चों के परिजनों को मुआवजा देने और लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए मनरेगा में बड़े पैमाने पर काम और बकाया मजदूरी के भुगतान की मांग की है।
गौरतलब हो है कि बेलहत्थी ग्राम पंचायत के खुटंहा टोला में काजल पुत्री रमाशंकर उम्र 3 वर्ष और रामकुमार पुत्र गिरधारी उम्र ढाई वर्ष की हाल ही में बीमारी से मृत्यु हुई है। इसके अलावा मीना कुमारी पुत्री रघुनाथ, विकास पुत्र पप्पू बिहार, बसंती पुत्री छबिलाल, संगीता कुमारी पुत्री गिरधारी खरवार, अमित कुमार पुत्र रमेश खरवार, रोहित कुमार पुत्र छबिलाल, गुंजा कुमारी पुत्री रघुनाथ आदि बीमार है। जिसमें से मीना कुमारी पुत्री रघुनाथ उम्र 13 वर्ष संगीता कुमारी पुत्री छविनाथ उम्र 12 वर्ष की स्थिति गंभीर है।