यूपी में हुए एनकाउंटरों की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा तलब किया जाना न्याय हित में

लखनऊ:
भाकपा माले ने कहा है कि महालेखाकार द्वारा अयोध्या विकास परियोजना के ऑडिट में उजागर किये गए भ्रष्टाचार से राज्य और केंद्र सरकार के दावों की पोल खुली है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति कथित जीरो टॉलरेंस की नीति और पीएम की ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ की घोषणा – दोनों की असलियत उजागर हुई है। सीएजी के अनुसार अयोध्या विकास परियोजना में ठेकेदारों को न केवल अनुचित लाभ पहुंचाया गया बल्कि उन कामों के लिए भी भुगतान किया गया जो काम जमीन पर हुए भी न थे।

माले नेता ने कहा कि अयोध्या विकास परियोजना केंद्र के स्वदेश दर्शन योजना का हिस्सा है और विकास का काम कराने वाली एजेंसियां उत्तर प्रदेश सरकार की थीं। अनुचित भुगतान में केंद्र व राज्य सरकार की संलिप्तता साबित हुई है। इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। इससे यह भी साबित हुआ है कि भाजपा सरकारों की कथनी और करनी में भारी अंतर है।

एक अन्य बयान में, माले राज्य सचिव ने 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा किये गए 183 एनकाउंटरों की रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तलब करने के निर्देश को न्याय हित में उचित बताया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ‘ठोंक दो’ की नीति पर अमल करती रही है, जिससे यूपी को एनकाउंटर प्रदेश कहा जाने लगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि एनकाउंटरों की सुप्रीम समीक्षा से कानून के राज, न्याय प्रक्रिया और मानवाधिकार आयोग व सर्वोच्च अदालत के निर्देशों की उड़ाई गई धज्जियों की असलियत भी सामने आएगी।