लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति का राजनीतिक प्रस्ताव

लखनऊ
पंतनगर, अबरार नगर, खुर्रम नगर, रहीम नगर, इंद्रप्रस्थ कॉलोनी और स्कॉर्पियो क्लब की बेदखली के आदेश को सरकार से वापस कराने के बाद लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में सरकार से पूछा है कि उसे प्रदेश की जनता और लखनऊ के नागरिकों को बताना चाहिए कि उसने अकबरनगर को क्यों बुलडोज किया?

समिति ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में कहा है कि जब सरकार और प्रशासन के लोग लिखित रूप से यह स्वीकार रहे हैं कि सिर्फ 35 मीटर रिवर बेड में ही कुकरैल रिवर फ्रंट का निर्माण किया जाना है और फ्लड प्लेन एरिया जो 50 मीटर है उसका ना तो कोई प्रस्ताव है और ना ही कोई आवश्यकता है। तब प्रशासन ने अकबरनगर में नदी से 500 मीटर दूर तक के क्षेत्र को बुलडोजर लगाकर तहस-नहस करने का काम क्यों किया है?

प्रस्ताव में कहा गया कि सरकार के बुलडोजर राज के कारण आज हालात यह है कि अकबरनगर के लोग अपने धर, मकान, रोजगार से वंचित हो गए, अभी भी सैकड़ो लोग आवास पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं और बसंत कुंज में जो आवास उन्हें आवंटित भी किया गया है उसका पैसा मांगा जा रहा है। यही नहीं वहां सरकारी शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।

सरकार से मांग की गई कि उसे तत्काल प्रभाव से अकबरनगर को बुलडोजर करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, उजाड़े गए परिवारों को मुआवजे के साथ अकबरनगर में पुन: स्थापित करना चाहिए और लोगों के सम्मानजनक जीवन के लिए रोजगार व बुनियादी नागरिक सुविधाओं का इंतजाम करना चाहिए। साथ ही बसंत कुंज आवासीय योजना में जो आवास दिए गए हैं उन्हें फ्री करना चाहिए।

प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करने वालों में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा, सपा की मेयर पूर्व प्रत्याशी वंदना मिश्रा, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डाक्टर रमेश दीक्षित, सीपीएम राज्य सचिव मंडल सदस्य मधु गर्ग, आईपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, इप्टा के राकेश, जागरूक नागरिक मंच की कात्यायनी, ट्रांस गोमती निवासी संघर्ष समिति के संयोजक राकेश मणि पांडे, एपवा की मीना सिंह, अकबरनगर के इमरान राजा, डीवाईएफआई के दीप डे, शिक्षक संघ के अमित राय, सपा की शर्मिला महाराज, टीयूसीसी के प्रमोद पटेल, जसम के शानतम ने व्यक्त किया है।