सोशल मीडिया-डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सरकार ने लगाईं लगाम
36 घंटे में हटाना होगा आपत्तिजनक कंटेंट; OTT के लिए होगा सेल्फ रेगुलेशन
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों सहित नेटफ्लिक्स-अमेजन जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइन्स जारी कर दी है. नए नियम के अनुसार सरकार के आदेश के बाद जितनी जल्दी हो अपने प्लेटफॉर्म्स से कंटेंट हटाना होगा. वहीं, डिजिटल मीडिया को भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह सेल्फ रेगुलेशन के सिस्टम को अपनाना होगा
36 घंटों में हटाना होगा कंटेंट
25 फरवरी को पास नए इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी नियमों के मुताबिक, सरकार के आदेश के ज्यादा से ज्यादा 36 घंटों के भीतर सोशल प्लेटफॉर्म को वह कंटेंट हटाना होगा जिसपर सरकार को आपत्ति होगी. पहले यह समयसीमा 72 घंटों की थी.
बताना होगा ऑरिजिनेटर
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कोर्ट के आदेश या सरकारी अथॉरिटी द्वारा पूछे जाने पर उसे उस शरारती ट्वीट या मैसेज के पहले ऑरिजनेटर को बताना होगा. उन्होंने कहा कि यह केवल भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य, सार्वजनिक व्यवस्था, विदेश के साथ संबंध या रेप, सेक्शुअल कंटेंट आदि के संबंध में होना चाहिए.
महिलाओं के खिलाफ कंटेंट 24 घंटे में हटाना होगा
प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर यूजर्स की गरिमा, खासकर महिलाओं के खिलाफ शिकायतें होती हैं, व्यक्ति के निजी भागों को दिखाया जाए या न्यूडिटी, सेक्शुअल एक्ट आदि की स्थिति में शिकायत होने के 24 घंटों के भीतर कंटेंट को हटाना होगा. यह महिलाओं की गरिमा के सम्मान के लिए किया गया है.
करनी होगी शिकायत अफसर की नियुक्ति
प्रसाद ने बताया कि सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज को एक शिकायत अफसर की नियुक्ति करनी होगी, जो 24 घंटों में शिकायत दर्ज करेगा. सोशल मीडिा प्लेटफॉर्म्स के पास यूजर्स के वॉलेंटरी वेरिफिकेशन का प्रावधान होगा जरूरी है.
72 घंटों के भीतर शुरू करनी होगी जांच
नए नियम के मुताबिक इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (गाइडेंस फॉर इंटरमीडियरीज एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021, के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को अथॉरिटी के आदेश पर 72 घंटों के भीतर जांच शुरू करनी होगी.
पैरेंटल लॉक लागू किया जा सके
जावड़ेकर ने कहा कि ओटीटी पर कंटेंट को लेकर 13+, 16+ और ‘ए’ कैटेगरी का बंटवारा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे तरीके होने चाहिए कि कंटेंट पर पैरेंटल लॉक लागू किया जा सके और बच्चे इसे नहीं देखें। जावड़ेकर ने साथ ही कहा कि सरकार को पता नहीं है कि देश में डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म कितने हैं। इसलिए सरकार प्लेटफऑर्म को लेकर बेसिक जानकारी मांग रही है।