सवाल पूछने वालों को धमकाने और डराने में लगी है सरकार: कांग्रेस
नई दिल्ली: चीन की गलवान घाटी में भारतीय जवानों की शहादत के बाद उपजे हालात पर कांग्रेस ने मोदी पर हमला बोलते हुये आरोप लगाया कि देश की अखंडता और चीनी सेना के मंसूबों को लेकर जो भी सरकार से सवाल कर है ,यह सरकार उसको डराने में लगी है, फिर चाहे सेना के पूर्व अधिकारी हों या राजनैतिक दल।
दुश्मन देश को क्लीन चित दे रही है सरकार
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने साफ़ किया कि आज देश की सीमाओं पर एक गंभीर चुनौती है। सरकार के सामने दो विकल्प हैं, या तो पूरे देश को साथ लेकर सेना के पीछे खडे होकर चीन का मुकाबला करें और या शुतुरमुर्ग की तरह रेत मे सिर छुपाकर यह मान लें कि नियंत्रण रेखा पर कोई घुसपैठ हुई ही नहीं। लेकिन मोदी सरकार ने एक तीसरा रास्ता चुना, जहां सेवानिवृत सेना अधिकारी, सुरक्षा विशेषज्ञ, विपक्ष, मीडिया कोई भी अगर सरकार से सीमाओं की अखंडता पर प्रश्न पूछे या सरकार को आगाह करें तो उन्हें लाल आंख दिखाई जा रही है और देश के दुश्मन को क्लिन चिट दी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि कोई घुसपैठ हुई ही नहीं उसे चीन पूरी दुनिया में भारत की क्लिन चिट के तौर पर दिखा रहा है।
भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टी के सम्बन्ध
पवन खेड़ा ने भाजपा द्वारा राहुल के एमओयू को लेकर उठाये विवाद पर भाजपा का चिठ्ठा खोलते हुये बताया कि जब राजनाथ सिंह भाजपा के अध्यक्ष थे, उस समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का प्रतिनिधि मंडल 30 जनवरी 2007 को उनसे मिलने आया जिसको कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के ऐतिहासिक संबंध हैं। 17 अक्टूबर 2008 को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के महत्वपूर्ण सदस्य राजनाथ सिंह जी से मिले और फिर से यही दोहराया गया कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के संबधों को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।
आरएसएस का प्रतिनिधि मंडल भी चीन गया
जनवरी 2009 में आरएसएस एवं भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के आमंत्रण पर पांच दिवसीय यात्रा की। जहां अरूणाचल प्रदेश और तिब्बत पर चर्चा की गई। न तो आरएसएस एक राजनीतिक दल है और न भारतीय जनता पार्टी उस समय सत्ता में थी फिर चीन जाकर, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अरूणाचल प्रदेश और तिब्बत जैसे महत्वूपर्ण विषयों पर चर्चा की जा रही थी।
कांग्रेस ने कहा सच बताये भाजपा
कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि क्या यह सच नहीं कि 19 जनवरी 2011 को भारतीय जनता पार्टी के उस वक्त के अध्यक्ष नितिन गडकरी भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल को चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर ले गए थे जिसका मक़सद, भाजपा और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संबंधों को और मजबूती देना था| मई 2014 में भाजपा की सरकार बनी और नवम्बर 2014 में भाजपा के 13 सांसद व विधायक चीन गए , उद्देश्य था दोनों सतारूढ़ दलों को मजबूती देना। यह प्रतिनिधिमंडल चीन के ’द पार्टी स्कूल’ भी गये ,यह जानने के लिये कि चीन अपने संघटन और सरकार को कैसे चलाता है।
चीन से मोदी का पुराना सम्बन्ध
खेड़ा ने कहा, नरेन्द्र मोदी के चीन से संबंध कोई आज के नहीं जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस वक्त की परिस्थितियों में विश्व के अनेक देश मोदी जी के संपर्क में नहीं आना चाहते थे। लेकिन 2014 के बाद का इतिहास भी सबके सामने है। मोदी बतौर प्रधानमंत्री 5 बार चीन गए और 3 बार चीन के राष्ट्रपति को भारत आमंत्रित किया। 2014 में अहमदाबाद, 2016 में गोवा और 2019 में महाबलिपुरम में। हम सब ने देखा कि एक तरफ मोदी जी और चीन के राष्ट्रपति साबरमती के किनारे झुला झुलते हुए फोटो खिंचवा रहे थे और वहीं दूसरी तरफ चीन के सैनिक लद्दाख के चुमार इलाके में घुसपैठ कर रहे थे।
धमकाने की राजनीति
2017 में जब डोकलाम हुआ, 73 दिनों के पश्चात दोनों सेनाएं पीछे हटी और उसके बाद लगातार खबरें आ रही हैं कि डोकलाम में चीन ने फिर से जोर शोर से निमार्ण गतिविधियां शुरू कर दी हैं। आज चीन लद्दाख के गलवान घाटी इलाके बहुत आगे तक आ चुका है और सरकार ध्यान नहीं दे रही है , उल्टे सवाल पूछने या आगाह करने वाले को डराया ,धमकाया जा रहा है।