लखनऊ:
योगी सरकार द्वारा प्री प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था आंगनबाड़ी केंद्रों से खत्म कर उसे बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक विद्यालयों को देने के फैसले से आंगनबाड़ियों में गहरा आक्रोश है और आंगनबाड़ियों ने इसे आईसीडीएस को खत्म करने की सरकार की कोशिश माना है। आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन सीटू के प्रदेश अध्यक्ष वीना गुप्ता ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि केंद्र और राज्य सरकार लंबे समय से बाल एवं पुष्टाहार विभाग को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। हर बजट में इसके लिए आवंटित धन को कम किया जा रहा है। खुद केंद्रीय मंत्री यह कहती हैं कि आंगनबाड़ी महज एक घंटा काम करती है। जबकि सभी लोग जानते हैं कि देश और प्रदेश की मलिन बस्तियों में समाज के सबसे कमजोर पायदान पर रहने वाले लोगों के कुपोषण को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों का महत्वपूर्ण स्थान है। खुद मुख्यमंत्री जी ने यह माना है कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा गरीब लोगों की मदद आंगनबाड़ी और आशा जैसे स्कीम वर्कर्स में जमीनी स्तर पर की है। आंगनवाड़ी केंद्र गरीब लोगों से बच्चों की प्री प्राइमरी शिक्षा, गर्भवती और धात्री महिलाओं के पोषण आहार की गारंटी करने, कुपोषित बच्चों के जीवन को सुरक्षित करने और टीकाकरण समेत स्वास्थ्य के प्राथमिक कामों को करते हैं। अब सरकार इन्हें ही खत्म करने में लग गई है। प्रदेश में खाद्य सुरक्षा कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्म ताजा भोजन बच्चों को नहीं दिया जा रहा है। इस भीषण महंगाई में भी आंगनबाड़ियों का मानदेय मनरेगा से भी कम दिया जा रहा है और उसे बढ़ाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार तैयार नहीं है। सीटू से जुड़ी यूनियन ने पूरे देश में आईसीडीएस को खत्म करने की नीतियों के खिलाफ अभियान चलाती रही है और अभी भी योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ पूरे प्रदेश में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा और आम जनता से संवाद कर आंगनबाड़ी केंद्रों को मजबूत करने के लिए सहयोग मांगा जाएगा।