छात्राएं अपनी शिक्षा को कम शिक्षित महिलाओं तक पहुंचाएं: आनंदीबेन पटेल
लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आज दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के 40 वंे दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित किया। समारोह में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करने वाले 45 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किये तथा उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि किसी भी काम का बड़ा होना या छोटा होना उसकी सामाजिक उपयोगिता पर निर्भर करता है। काम अगर बड़ा हो और समाज के लिए उपयोगी ना हो तो छोटा होता है और अगर काम छोटा हो और समाज के लिए महत्व का हो तो है खुद ब खुद बड़ा हो जाता है। इसको ध्यान में रखते हुए ही इस बार बहुत से ऐसे लोगों को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है, जो समाजोपयोगी कार्य के चलते देश दुनिया के लिए प्रेरणा का विषय बन सके हैं।
राज्यपाल ने कृषि संकाय के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ये षिक्षा देष को तो समृद्ध करने में सहायक है ही, स्व-रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम भी है। देष में कृशि की गुणवत्ता का विकास, कृशि उत्पादों में नवीन किस्मों की वृद्धि, खेती के लिए नई तकनीक के प्रयोगों को बढ़ाना, कृशि भूमि से बेहतर और ज्यादा उत्पादन प्राप्त करना, उन्नत उत्पादों को पाने के लिए षोध करना जैसे कितने ही कार्य हैं जिन्हे कृषि विद्यार्थियों के योगदान की अपेक्षा होगी। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्राओं से कहा कि उन्हें शिक्षित होने का अवसर प्राप्त हुआ है, वे अपनी शिक्षा को जाया न होने दें और उन महिलाओं तक भी जानकारियां पहुंचाएं, जो किन्ही कारणों से कम शिक्षित रह गयी हैं।
राज्यपाल ने कहा कि वह गोल्ड मेडल को ले जाकर अपने घर में सजाएं लेकिन किसी से गोल्ड मांगने की हरगिज कोशिश ना करें। यानी दहेज से न केवल खुद दूर रहें बल्कि अन्य युवाओं को भी इसके लिए प्रेरित करें।
राज्यपाल ने समारोह में प्राथमिक विद्यालय से आये बच्चों को पठन-पाठन सामग्री तथा स्कूल बैग प्रदान किये और शिक्षकों से उन्होंने अपील की कि वह बच्चों को उन स्थानों का भ्रमण कराएं, जिसे देखकर उनमें आगे बढ़ने की ललक विकसित हो सके। समाज के लिए कुछ कर देने की इच्छा जागृत हो सके। अध्ययन-अध्यापन की यही सार्थकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे समारोहों में आने से बच्चों को उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिलती है। नई शिक्षा नीति हमें ऐसा किए जाने का रास्ता दिखाती है।