वायु सैनिक द्वारा निर्धारित सेवा शर्तों को पूरा कर लेना दिव्यांगता पेंशन नकारने का आधार नहीं
- वायु सेना से रिटायर वारंट आफिसर को सेना कोर्ट से मिली दिव्यांगता पेंशन
- सैंतीस साल बाद पैदा हुई बीमारी के लिए रिटायर वारंट आफिसर जिम्मेदार नहीं : विजय कुमार पाण्डेय
लखनऊ:
सेना कोर्ट लखनऊ ने वायु सेना से सेवानिवृत्त वायु सैनिक को दिव्यांगता पेंशन देने का फैसला सुनाया l पूरा मामला यह था कि वारंट आफिसर कृष्ण कुमार त्रिपाठी सन 1983 में वायु सैनिक के रूप में भर्ती हुए और, तय शर्तों के अनुसार सैंतीस साल की लंबी सेवा के बाद वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए l रिटायरमेंट के समय उन्हें प्राईमरी हाईपरटेंशन और डायबटीज क्रमशः तीस और बीस प्रतिशत थी लेकिन, वायु सेना द्वारा कहा गया कि यह बीमारियाँ लाईफ स्टाईल का परिणाम हैं न कि, इसके लिए वायु सेना जिम्मेदार है, जिसके खिलाफ याची ने अपील की लेकिन, रक्षा-मंत्रालय ने 16 जुलाई,2021 को अपील खारिज कर दी उसके बाद याची ने सशत्र-बल अधिकरण, लखनऊ में अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से मुकदमा दायर किया l
याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने सुनवाई के दौरान अदालत के सामने दलील दी कि वायु सैनिक द्वारा अपना सेवा काल पूरा करके रिटायर होने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता कि याची तो पेंशन योग्य सर्विस पूरी कर चुका है और, वायु सेना द्वारा सर्विस पूरी करने के पहले डिस्चार्ज नहीं किया गया है और, यह भी स्वीकार करने योग्य नहीं है कि सैंतीस साल बाद किसी वायु सैनिक की लाईफ स्टाईल को आधार बनाकर उसकी दिव्यांगता को ही मानने से इंकार कर दिया जाए l याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने आगे दलील दी कि भर्ती के समय से लेकर छत्तीस साल तक डाक्टरों द्वारा किसी प्रकार की बीमारी न बताया जाना साबित करता है कि बीमारी के लिए वायुसेना जिम्मेदार है, भारत सरकार द्वारा जबर्दस्त विरोध के बावजूद न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और वाईस एमिरल (रि०) अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने वारंट आफिसर को चार महीने के अंदर पचास प्रतिशत दिव्यांगता पेंशन देने का फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि निर्धारित अवधि में आदेश का पालन न किया गया तो याची आठ प्रतिशत व्याज पाने का भी हकदार होगा l