फ़ोर्ब्स ने बताया, अडानी ने क्यों वापस लिए FPO
अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अब फोर्ब्स ने बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा किया है। फोर्ब्स के नए खुलासे के बाद अडानी समहू पर और गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह सवाल पूछे जा रहा है कि क्या अडानी समहू द्वारा एफपीओ वापस लेने की ये असली वजह थी?
फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज के 2.5 अरब डॉलर (20,000 करोड़) के एफीओ के तहत जिन तीन निवेश फंडों ने शेयर खरीदे थे, उनका संबध अडानी ग्रुप और संदिग्ध अडानी प्रॉक्सी से है। 27 जनवरी 2023 को अडानी ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का एपीओ जारी किया था और फिर फुल सब्सक्राइब होने के बाद इसे अचानक वापस ले लिया था। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने एफपीओ वापस लेने के पीछे वजह बताते हुए कहा था कि कंपनी के गिरते शेयरों की वजह से यह फैसला लिया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दो मॉरीशस बेस्ड फंड, आयुषमत लिमिटेड और एल्म पार्क फंड और भारत बेस्ड एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड ने एंकर निवेशकों के लिए उपलब्ध सभी शेयरों में से 9.24 प्रतिशत खरीदने के लिए सहमत हुए थे। 9.24 प्रतिशत शेयर का वैल्यूएशन सिर्फ 66 मिलियन डॉलर होता है। गौर करने वाली बात यह है कि अडानी समूह को इन फर्मों से मदद मिलने के सबूत हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर अडानी समूह के प्रिंसिपल इन विभिन्न फंड के बेनिफिसियल ऑनर हैं, तो इसका मतलब यह है कि अडानी समूह अपने प्रतिद्वंद्वियों में से एक हिंदुजा ग्रुप में बड़ा स्टेकहोल्डर भी होगा। ऐसा इललिए क्योंकि एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड, न्यू लीना इन्वेस्टमेंट्स और अडानी ग्रुप से जुड़े तीन अन्य फंड- इलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड, कोनकोर इन्वेस्टमेंट एंटरप्राइज लिमिटेड और एलजीओएफ ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज लिमिटेड सभी हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस, हिंदुजा लीलैंड फाइनेंस और हिंदुजा की गल्फ ऑयल में काफी हिस्सेदारी रखते हैं।
रिपोट में कहा गया है कि आयुषमत लिमिटेड और एल्म पार्क फंड और एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड, इन तीन निवेश फंडों ने अडानी एंटरप्राइजेज के 2.5 अरब डॉलर के एफपीओ के शेयर खीरदे थे। अब यह समझने की कोशिश करते हैं कि ये जो तीन निवेशक हैं, उनका अडानी समूह से कैसा संबंध रहा है। आयुषमत लिमिटेड जोकि अडानी एंटरप्राइजेज के एंकर निवेशकों में एक था, वह एक मॉरीशस बेस्ड फंड था। इसने इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को शुरुआती पेशकश किए गए शेयरों में से 2.32 प्रतिशत खरीदने का वादा किया था। मॉरीशस की एक वित्तीय सेवा फर्म रोजर्स कैपिटल द्वारा आयुष्मान लिमिटेड को मैनेज किया जाता है। रोजर्स के निदेशकों और प्रमुख शेयरधारकों में से एक जयचंद जिंग्री हैं, जो पहले मॉरीशस-मुख्यालय वाले अडानी ग्लोबल लिमिटेड के निदेशक थे। यह अडानी एंटरप्राइजेज की सहायक कंपनी थी। गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी से जिंग्री के संबंध हैं। वह अडानी समूह की ऑफशोर कंपनियों के महत्वपूर्ण प्लेयर हैं। वहीं, विक्रम रेगे जोकि आयुषमत लिमिटेड के एक निदेशक हैं, उन्होंने फोर्ब्स को ईमेल के जरिए भेजे गए एक बयान में कहा कि आयुष्मान लिमिटेड अडानी समूह के किसी भी प्रिंसिपल की ओर से किसी भी फंड का प्रबंधन नहीं करता है। जयचंद जिंग्री का अभी तक इस मामले में कोई भी बयान नहीं आया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अडानी एंटरप्राइजेज के एपीओ में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक एल्म पार्क फंड है। विक्रम रेगे एल्म पार्क फंड में एक निदेशक भी हैं। उन्होंने अडानी एंटरप्राइजेज के एफीओ में दूसरे सबसे बड़ा निवेशक (5.67 प्रतिशत) बनने की योजना बनाई थी। साल 2018 में मनीलाइफ इंडिया द्वारा प्राप्त एक व्हिसलब्लोअर शिकायत के मुताबिक, मॉरीशस स्थित एल्म पार्क फंड पर भी सन फार्मा स्टॉक हेराफेरी की योजना में शामिल होने का आरोप लगा था। गौर करने वाली बात यह है कि रेगे ने एल्म पार्क फंड के बारे में फोर्ब्स के सवालों का कोई भी जवाब नहीं दिया है।
बता दें कि एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड ने अडानी एंटरप्राइजेज के एंकर शेयरों का 1.25 प्रतिशत सब्सक्राइब किया था। एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड के वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी, भारतीय संसदीय रिकॉर्ड 2021 के मुताबिक, एंटोनिनो सरडेग्नो हैं। सार्डेग्नो के लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक, (जिसे फोर्ब्स की रिपोर्ट के बाद हटा दिया गया), उन्होंने मोंटेरोसा ग्रुप के लिए साल 2008 से साल 2013 तक ‘इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशन’ का नेतृत्व किया था।
वहीं, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि मोंटेरोसा ग्रुप और उसके 5 निवेश फंड, जिनके पास अडानी की कंपनी का 4.5 बिलियन डॉलर का स्टॉक है (24 जनवरी तक) और यह अडानी की सबसे बड़ी ‘स्टॉक पार्किंग एंटिटी’ थी। इसका मतलब यह है कि ऑनरशिप को छुपाने के लिए थर्ड पार्टी फंड बनाया गया। 2013 से अगस्त 2022 तक एंटोनिनो सरडेग्नो, एंडेटा प्राइवेट सर्विसेज के सीईओ थे। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में एंडेटा को ऑफशोर फर्म एमिकॉर्प की सहायक कंपनी होने का दावा किया है। वह न्यू लीना इन्वेस्टमेंट्स का नियंत्रक शेयरधारक हैं, जो एक साइप्रस फंड है। यह पहले अडानी ग्रीन में 1 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी रखता था। साथ ही अडानी समूह की दूसरी कंपनियों में भी इसकी छोटी हिस्सेदारी थी।
25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि अडानी समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े। इसी रिपोर्ट के आने के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया है। और देखते ही देखते अडानी ग्रुप के शेयर 60 फीसदी तक गिर गए।