बंद वीमेन हेल्पलाइन 181 के लिए एसीएस होम से करें अप्रोच
● वर्कर्स फ्रंट की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया आदेश
● सम्बंधित अधिकारी सभी पहलू का ध्यान देकर करें निर्णय
● 181 वीमेन हेल्पलाइन के कर्मचारी हो बहाल, बकाया वेतन का हो भुगतान – दिनकर कपूर
लखनऊ
181 वीमेन हेल्पलाइन को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बंद करने के आदेश के खिलाफ यू.पी. वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर की तरफ से उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में दाखिल जनहित याचिका संख्या 24835/2020 में न्यायालय ने इस हेल्पलाइन को चालू करने के लिए अपर मुख्य सचिव गृह से अप्रोच करने और इसे नीति विषयक मानते हुए इस संबंध में संबंधित अधिकारियों द्वारा सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए कहा है। माननीय न्यायमूर्ति रंजन रे और माननीय न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने याची कर्ता के वकील नितिन कुमार मिश्रा व विजय कुमार द्विवेदी, उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य स्टैंडिंग कौन्सिल एडवोकेट इंद्रजीत शुक्ला और भारत सरकार के वकील महेंद्र कुमार मिश्रा के तर्कों को सुनने के बाद यह आदेश दिया है।
इस संबंध में प्रेस को जारी अपनी विज्ञप्ति में वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा कि महिला सुरक्षा, स्वाभिमान और स्वावलंबन की बात करने वाली और इसके लिए मिशन शक्ति अभियान चलाने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा व सहायता की सबसे महत्वपूर्ण 181 वीमेन हेल्पलाइन को 2020 में बंद कर उसे पुलिस की जनरल हेल्पलाइन 112 के अधीन कर दिया था। इसमें काम करने वाली सैकड़ो महिलाओं को नौकरी से निकाल दिया गया था और उनके तीन माह के वेतन का भी भुगतान नहीं किया गया था। जबकि 181 हेल्पलाइन निर्भया कांड पर बनी जस्टिस जे. एस. वर्मा कमीशन की संस्तुति के बाद भारत सरकार की आदेश पर संचालित की जा रही थी और इसका फंड भी भारत सरकार द्वारा दिया जा रहा था। उत्तर प्रदेश में भी अखिलेश सरकार ने इसे चालू किया। कोरोना काल में इस हेल्पलाइन की कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर महिलाओं को सहायता देने का काम किया था। खुद उत्तर प्रदेश सरकार ने माना था कि यह स्कीम महिलाओं के लिए बेहतरीन स्कीम है और एक कॉल से ही उन्हें तत्काल सुरक्षा, काउंसलिंग, सहायता और पुनर्स्थापना जैसे बहुत सारे काम हो रहे हैं। लेकिन 2020 में योगी सरकार ने इसे खत्म कर जनरल पुलिस हेल्पलाइन में मिला दिया। इसके बंद होने से महिला हिंसा के मामलों में सहायता नहीं मिल पा रही है और सम्मानजनक व सुरक्षित जीवन के महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में इसे बंद करने के आदेश को रद्द करने और भारत सरकार के नियमों व प्रोटोकॉल के तहत 181 को चालू करने की मांग जनहित याचिका में की गई थी।
याची के वकील नितिन कुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट में कहा कि 181 वीमेन हेल्पलाइन नंबर महिलाओं के विभिन्न सवालों के लिए सुविधा प्रदान करता था। जिसे सरकार ने पुलिस के जनरल हेल्पलाइन नंबर 112 में समाहित कर दिया है। यह भी कहा कि जस्टिस जे. एस. वर्मा कमीशन के अनुसार महिलाओं को पुलिस अथार्टियों के जरिए नहीं बल्कि स्वतंत्र एजेंसी के बतौर हेल्पलाइन की सुविधा मिलनी चाहिए। याची के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद माननीय न्यायमूर्तियों ने आदेश दिया है। इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव गृह और संबंधित अधिकारियों को पत्रक देने की तैयारी की जा रही है।