वित्तीय साक्षरता सरकार और रिजर्व बैंक दोनो की नीतिगत प्राथमिकता में: लक्ष्मीकांत राव
बिजनेस ब्यूरो
वित्तीय सशक्तिकरण के विषय पर एवोक इंडिया फ़ाउंडेशन द्वारा आज एक वित्तीय साक्षारता संगोष्ठी का आयोजन हिलटन गार्डन इन के सभागार में किया गया । इस समारोह के उदघाटन में मुख्य अतिथि, आर लक्ष्मी कांथ राव, क्षेत्रीय निदेशक – आरबीआई तथा विशिष्ट अतिथियों के रूप में नवनीत सहगल (आई०ए०एस०), प्रमुख सचिव – सूक्ष्म, लघु तथा माध्यम उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन, उत्तर प्रदेश; देवेश चतुर्वेदी (आई०ए०एस०), अपर प्रमुख सचिव – कृषि शिक्षा एवं शोध, उत्तर प्रदेश तथा अलोक रंजन, पूर्व मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश जी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के उद्घाटन में मुख्य अतिथि आर लक्ष्मीकांत राव ने कहा कि वित्तीय साक्षरता सरकार एवं रिजर्व बैंक दोनो की नीतिगत प्राथमिकता में उत्तर प्रदेश में सिर्फ 21 प्रतिशत लोग ही वित्तीय रुप से साक्षर है जो कि राष्ट्रीय औसत 27 प्रतिशत से काफी कम है इसलिए हमें इस दिशा में और कार्य करना है। श्री आलोक रंजन, पूर्व मुख्य सचिव ने कहा वित्तीय साक्षरता द्वारा ही देश से गरीबी को दूर किया जा सकता है और इसके लिये एवोक इण्डिया को और प्रयास करने चाहिये। आईआईए के अध्यक्ष श्री अशोक कुमार अग्रवाल ने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बैंको में लम्बी लाइन लगती है और ग्राहको को सुविघाए नहीं मिलती है जिस दिशा में और कार्य करने चाहिए।
कार्यक्रम के अंतर्गत आर्थिक सशक्तिकरण की वृद्धि विषय पर उत्क्रष्ट कार्य करने वाली विभूतियों को उद्घाटन सत्र के दौरान, पूरे भारत से प्राप्त नामांकनों में से एक प्रतिष्ठित निर्णायक मण्डल द्वारा चुने गए तीन विजेताओं को वार्षिक फाइंनेंसिल इंक्लूजन एंड लिटरेसी लिडरसिप अवार्डस से सम्मानित किया गया । साथ ही कार्यक्रम में एवोक इंडिया जरनल एवं सोविनयर का विमोचन किया गया ।
एक दिवसीय संगोष्ठी “आर्थिक सशक्तिकरण में वृद्धि” के लिए महत्वपूर्ण 5 विषयों महिला सशक्तिकरण, युवा, सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योग एवं स्टार्टअप, कृषि एवं बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं तथा बीमा क्षेत्र पर आयोजित पैनल चर्चा के विषय पर चर्चा हुयी।
पैनल चर्चा में महिलाओं सत्र में वित्तीय समावेशन के लिए धन सृजन की बुनियादी बातों और शिक्षा के क्षेत्र में इसके महत्व के लिए सरकारी पहल पर प्रकाश डाला गया है। सफलता की कुंजी छोटी अनुशासित आदतों के निर्माण के लिए मानसिकता और व्यवहार में बदलाव में निहित होगी।
सूक्ष्म एवं लघु उद्योग पैनल चर्चा में डॉ. नवनीत सहगल, आईएएस, एसीएस – एमएसएमई, खादी और ग्रामोद्योग, सूचना, ने साझा किया है कि कोविड के समय में एमएसएमई को मजबूत करने के लिए सरकार ने 35 हजार करोड़ आवंटित किए हैं। हमारे पास लगभग 2016-2017 में 9 मिलियन एमएसएमई थे जो कि बढ़कर 70 मिलियन हुआ है, जिन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त हुई एवं एमएसएमई और स्टार्टअप्स को लगभग 16 हजार करोड़ का ऋण प्रदान किया गया है साथ ही बताया कि यूपी की जीएसडीपी पिछले 6 महीनों में 19% बढ़ी है। श्री सहगल ने कॉन्क्लेव के दौरान यूपी इंडस्ट्रियल्स और बीएसई एसएमई के साथ गठजोड़ की घोषणा की है।
युवाओं के लिए आयोजित पैनल चर्चा मेंसेबी ईडी, श्री जी पी गर्ग ने अपने विचार साझा किया कि सेबी निवेशक संरक्षण काम कर रहा है और मुझे लगता है कि वित्तीय साक्षरता महत्वपूर्ण है और हमें इसे बढ़ाने के लिए युवाओं को शिक्षित करना शुरू करना चाहिए। केवल 16% के पास अपने वित्त के लिए कार्य योजना और लक्ष्य हैं जो कि बहुत कम हैं। श्री सुरेश शुक्ला, सीनियर प्रेसिडेंट ने बताया कि 2 वर्ष पहले मात्र 4-5 लाख प्रतिमाह डिमेट खाते खुलते थे जो कि अब बढ़कर 35 लाख प्रतिमाह हो चुके है। मैं समझता हूँ कि यदि हम इसे तरह के प्रोगाम करते रहे तथा जमीनीस्तर पर वित्तीय साक्षरता पर कार्य करे तो हम अपनी देश की वित्तीय स्तर को बढ़ा सकते है।