फतेहपुर नगर पंचायत को 70 साल से काबिज़ परिवार से अलग मिलेगा नया अध्यक्ष
फहीम सिद्दीकी
फतेहपुर बाराबंकी –
बाराबंकी जिला की फतेहपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष पद का चुनाव इस बार ऐतिहासिक होने जा रहा है क्योंकि 70 साल बाद गंगा जमनी तहज़ीब की मिसाल इस पुराने कस्बे को एक नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है, नए अध्यक्ष का मतलब अभी इस पद पर एक ही परिवार का कब्ज़ा रहा है लेकिन इस बार यहाँ नया अध्याय लिखा जाना है.
दरअसल टाउन एरिया के गठन के बाद से लगभग 70 बरस तक एक ही परिवार का कब्जा रहा है. क़स्बा फतेहपुर के इस प्रतिष्ठित पद पर पहली बार इस परिवार से स्व मो सबूर खां चेयरमैन बने, इसके बाद चेयरमैन के पद पर इसी परिवार का कब्ज़ा तीन पीढ़ियों तक जारी रहा. मोहम्मद सबूर खां के बाद उनके बड़े पुत्र स्व मो सलमान, पुत्र वधु स्व नर्गिस सलमान, छोटे बेटे मोहम्मद मश्कूर, स्व रेशमा मशकूर से होते हुए ये सिलसिला सबूर साहब की पोती निगहत मशकूर तक जारी रहा लेकिन इस बार सीमा विस्तार के बाद अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने की वजह से ये सिलसिला यहीं पर थम गया है।
इस बार चुनाव में कांग्रेस को छोड़कर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ मजबूत निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में है। सपा ने शिया कालेज लखनऊ से छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू करने वाले और 3 बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मामूली अंतर से अध्यक्ष पद हासिल करने चूकने वाले प्रख्यात मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सिराज अहमद ‘क़मर’ के साहबज़ादे इरशाद अहमद क़मर को अपना प्रत्याशी बनाया है.
वही भाजपा ने उदासीन अखाड़े के महंत हेमंत दास पर विश्वास जताया है जबकि बसपा ने युवा प्रत्याशी के रूप में इंजीनियर इकबाल को टिकट देकर चुनाव में उतारा है। मालूम हो कि इससे पूर्व हुए चुनावों मे भाजपा के अतिरिक्त किसी अन्य प्रमुख राजनीतिक दल ने अपना प्रत्याशी नही उतारा । इसके साथ निर्दलीय प्रत्याशियों मे अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल नगर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र वर्मा पूर्व जिला पंचायत सदस्य नसीम गुड्डू एवं एकराम आलम भी काफी मजबूती से चुनाव लड़ रहे है।
चुनाव चिन्ह मिलते ही सभी प्रत्याशियों ने अपने समर्थकों के साथ जनसंपर्क तेज कर दिया है। सीमा विस्तार से पूर्व नगर पंचायत मे कुल 16 वार्ड थे सीमा विस्तार के बाद आसपास के गांवों को सम्मिलित करने के बाद अब वार्डो की संख्या 19 हो गई है ऐसे मे सभी प्रत्याशियों के सामने कम समय मे सभी 19 वार्डो में मतदाताओं तक पहुंचना चुनौती से कम नहीं होगा। अब देखना यह है कि नगर पंचायत फतेहपुर के 11 मई को किस पर भरोसा करके अपना मत देते हैं। इसका पता तो 13 मई को मतगणना के बाद ही चलेगा।
पिछले 70 सालों की बात करें तो क़स्बा फतेहपुर बदलाव से दूर ही रहा है, पिछले तीन चुनावों में हालाँकि चुनाव के दौरान यहाँ बदलाव की बात ज़रूर उठी लेकिन बदलाव नहीं हुआ, शायद कसबे के लोगों को बदलाव में दिलचस्पी नहीं रहती, लेकिन इस बार कस्बे के नागरिकों के सामने कोई विकल्प नहीं रह गया है, अध्यक्ष पद के लिए इसबार उन्हें मोहम्मद सबूर खां के परिवार से अलग नया चेहरा चुनना ही पड़ेगा। बहरहाल चुनाव का परिणाम कुछ भी निकले लेकिन यह तय है कि फतेहपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष पद को कोई नया व्यक्ति ही सुशोभित करेगा। चुनाव को लेकर आम मतदाता चाय की चुस्की के साथ चर्चा करने में मशगूल है।