ज़हर भी लता की आवाज़ के आगे हार गया
विकास/विक्रांत
मेलोडी क्वीन और nightingale of इंडिया स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज निधन हो गया. हिंदी सिनेमा में अपनी अनोखी आवाज का जादू बिखेरने वालीं लता दीदी ने 13 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था. लता मंगेशकर ने अपने जीवन में ऐसे ही सफलताओं की सीढ़ियां नहीं चढ़ी हैं. हर कदम पर उन्हें परीक्षाएं देनी पड़ी हैं. ऐसा ही एक वक्त था जब उन्हें घर में ही धीमा जहर दिया जा रहा था. उस वक्त किसी को भी इस बारे में अंदाजा तक नहीं था. लेकिन एक दिन लता मंगेशकर की तबीयत अचानक ही खराब हो गई. लता दीदी के जीवन का ये एक ऐसा एपिसोड था जिसमें उनकी जान पर बन आयी थी.
वरिष्ठ लेखिका पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ उन्होंने इस घटना का जिक्र किया है. लता मंगेशकर की उम्र उस समय 33 साल थी।. हमेशा की तरह वह सुबह के वक्त उठीं तो उन्हें कुछ अच्छ सा महसूस नहीं हुआ. सुबह के वक्त अचानक ही उनके पेट में बहुत तेज दर्द उठा था. उस वक्त तो उनकी हालत इतनी ज्यादा ख़राब हो गई थी कि वह अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रही थीं.
पेट का दर्द अभी शांत भी नहीं हुआ था कि उन्हें उल्टियां आनी शुरू हो गईं. जब लता ने उल्टी की तो सब बड़े हैरान रह गए, उस उल्टी का रंग हरा था. ये देख कर उनका शरीर कांपने लगा. आनन-फानन में डॉक्टर को घर बुलाया गया. डॉक्टर ने आते ही लता जी को दवाई दी. डॉक्टर ने चेकअप किया तो पता चला कि लता जी को धीमा जहर दिया जा रहा था. 1963 में हुई इस घटना से हर कोई सन्न था.
उस वक्त लता दीदी के घर में एक बावर्ची हुआ करता था. लेकिन जैसे ही इस बात को लेकर घर में हल्ला मचा, वैसे ही वह बावर्ची घर से कहीं गायब हो गया। इस घटना के बाद तो वो बावर्ची बिना अपनी तनख्वाह के वहां से भाग खड़ा हुआ था. इस हादसे के बाद से लता मंगेशकर की छोटी बहन ऊषा मंगेशकर बहुत डर गई थीं. ऐसे में उन्होंने तय किया कि अब रसोई का काम वो संभालेंगी औऱ कोई भी बाहरी शख्स ऐसे उनके यहां नहीं आएगा.
बता दें जब इस बारे में मशहूर गीतकार और शायर मजरूह सुल्तानपुरी को पता चला तो वे लता मंगेशकर से रोज मिलने आ जाया करते थे. जब लता दीदी के खाने का वक्त होता था तो पहले खाने का निवाला वे लेते थे उसके बाद चेक करके ही लता जी को देते थे. इस घटना के बाद डॉक्टर ने लता जी को 3 महीने तक बेड रेस्ट के लिए कहा था.