लखनऊ:

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा अधिसूचित इलेक्टोरल बांड योजना आजाद भारत में चुनावी चंदे की सबसे बड़ी भ्रष्ट योजना बन गई है। भाजपा द्वारा सफेद तरीके से काला धन एकत्र करने की एक अपारदर्शी योजना बनाई गई। जो सरकारी शक्ति के दुरूपयोग का एक नायाब नमूना बन गई है।

श्री दुबे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शुरू से ही इस चंदे के काले धंधे का विरोध किया था, हमने बार-बार कहा कि यह योजना भाजपा सिर्फ अपने फायदे के लिए और चुनावी चंदे में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए ला रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस योजना को खारिज करने के बाद कांग्रेस पार्टी का मत सत्य साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना पर ताला लगाकर यह सिद्ध कर दिया कि भाजपा चोर दरवाजे से चंदे के धंधे का काला खेल कर रही थी। यही नहीं मोदी सरकार एसबीआई को कोर्ट के आदेश के बाद भी इलेक्टोलरल बांड से सम्बन्धित सूचना को साझा करने से रोक रही थी। सरकार सारी सूचना को आगामी 30 जून तक यानी चुनाव सम्पन्न होने तक छुपाने का प्रयत्न कर रही थी लेकिन कोर्ट के दबाव के बाद जब एसबीआई को इलेक्टोरल बाण्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करनी पड़ी तो भाजपा की चार भष्ट नीतियां उजागर हुई।

श्री दुबे ने कहा कि ऐसी कई कंपनियों के मामले हैं जिन्होंने इलेक्टोरल बांड दान किया और उसके तुरन्त बाद उन्हें सरकार से भारी लाभ प्राप्त हुआ। जैसे मेधा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा ने अप्रैल 2023 में, 140 करोड़ डोनेट किया और ठीक एक महीने बाद, उन्हें 14,400 करोड़ रुपए की ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट मिल गया। इसी तरह इन्फ्रास्टैक्चर से जुड़ी कई कंपनियों ने भारी मात्रा में चंदा दिया है और उसके बाद उन्हें प्रोजेक्टस मिले हैं। पिछले कुछ वर्षों में चंदा दो धंधा लो की तर्ज पर दिये गये कई बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्टस में घटिया निर्माण सामग्री हाने के कई मामले सामने आए हैं। गुजरात के मोरबी का झूला ब्रिज इसका एक ज्वलंत उदाहरण है जिसके टूटने से सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई थी।