लखनऊः
प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ का नवम् दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल जी ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी और कहा कि पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी समान रूप से सम्मान के पात्र हैं क्योंकि कुछ अंको से आगे-पीछे हो जाने से पदक स्वर्ण, रजत और कांस्य की श्रेणी में विभाजित हो जाते हैं जबकि विद्यार्थियों की योग्यता लगभग बराबर ही होती है। उन्होंने कहा कि भविष्य में सफलता प्राप्त ज्ञान के समुचित उपयोग और जीवन लक्ष्यों को लगन से पूरा करने से प्राप्त होगी।

अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता से जुड़ाव और समर्पण रखने के लिए विशेष रूप से प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि माँ-बाप बच्चों को पालने और शिक्षा-दीक्षा कराने में अपनी उम्र गुजार देते हैं और बच्चे योग्य होकर देश-विदेश में अन्यत्र सेवाएं देने चले जाते हैं। जबकि माता-पिता उनकी उपलब्धियों पर गर्व करते हुए अकेले रह जाते हेैं और जीवन के अवसान को प्राप्त हो जाते हैं। बच्चों को अपने माता-पिता की इस अवस्था में ध्यान रखना चाहिए। राज्यपाल जी ने दीक्षांत समारोह को विद्यार्थियों के जीवन की उपलब्धि का विशेष दिन बताते हुए कहा कि शिक्षा सिर्फ सर्टिफिकेट प्राप्त करने की प्रक्रिया मात्र नहीं है। ये उन चारित्रिक गुणों का उच्चतम विकास भी करती है, जिनका प्रारम्भ घर में माता-पिता से प्राप्त प्रारम्भिक शिक्षा से होता है। ये वो संस्कार देती है, जिसका हम अपने व्यवहारिक जीवन में उपयोग करते हैं।

इसी क्रम में राज्यपाल ने कहा कि उ0प्र0 सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा दिव्यांगजनों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए इस विश्वविद्यालय को स्थापित किया गया। यहाँ से विद्यार्थी ज्ञान-विज्ञान और विविध विषयों में उच्च शिक्षा लेकर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विशेष विश्वविद्यालय दिव्यांगों को दुनिया का सामना करने और जीवन का अधिकतम लाभ उठाने में सक्षम बना रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों का जीवन गढ़ने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि एक शिक्षक का दायित्व है कि वह मनवीय क्षमता से युक्त, वैश्विक दृष्टि सम्पन्न विद्यार्थियों का सृजन करे।