ईस्टर पर्व: नए जीवन का प्रतीक
रतन शर्गा
ईस्टर ईसाइयों का महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। ईसाई धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार सलीब पर लटकाए जाने के तीसरे दिन यीशु मसीह पुनर्जीवित हो गए थे। इस पर्व को ईसाई धर्म के लोग ईस्टर के रूप में मनाते हैं। ईस्टर गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है। ईस्टर खुशी का दिन होता है। इस पवित्र रविवार को खजूर इतवार भी कहा जाता है। ईस्टर का पर्व नए जीवन और जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ईस्टर संडे को ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में इकठठा होते हैं और जीवित प्रभु की आराधना स्तुति करते हैं और यीशु मसीह के जी उठने की खुशी में प्रभु भोज में भाग लेते हैं और एक-दूसरे को प्रभु यीशु मसीह के नाम पर शुभकामनाएँ देते हैं। ईस्टर भाईचारे और स्नेह का प्रतीक माना जाता है।
ईस्टर रविवार के पहले गिरजाघरों में रात्रि जागरण तथा अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती है तथा असंख्य मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु मसीह में अपने विश्वास प्रकट करते हैं। यही कारण है कि कई देशांे में ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बांटना एक प्रचलित परंपरा है। ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार ईस्टर शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है इसलिए इसे ईस्टर महापर्व का नाम दे दिया गया। ईस्टर के पहले वाला रविवार, खजूर रविवार होता है और ईस्टर के पहले के तीन दिन पवित्र बृहस्पतिवार, गुड फ्राइडे और पवित्र शनिवार होते हैं। खजूर रविवार, पवित्र बृहस्पतिवार और गुड फ्राइडे क्रमश येरूशलम में यीशु मसीह के प्रवेश, आखिरी रात्रि भोज और सूली पर चढ़ाए जाने जैसी घटनाओं से जुड़े हैं। कुछ देशों में ईस्टर दो दिन तक भी मनाया जाता है और दूसरे दिन को ईस्टर सोमवार कहा जाता है। लगभग दो हजार साल पहले यरुशलम के एक पहाड़ के ऊपर बिना किसी कारण यीशु मसीह को सूली पर चढ़ा गया। मगर यीशु मसीह तीसरे दिन अपनी कब्र में से जी उठे। आज भी उनकी कब्र खुली है।
यीशु मसीह ने जी उठने के बाद अपने चेलों के साथ 40 दिन रहकर हजारों लोगों को दर्शन दिए। यीशु मसीह प्रत्येक जाति के लिए या किसी धर्म की स्थापना के लिए नहीं आए बल्कि प्यार और सत्य बाँटने के लिए आए। यीशु मसीह ने कहा, परम पिता परमेश्वर में हम सब एक हैं, वो अपने लोगों के लिए एक राजा बनके आए थे। जिस कू्रस पर यीशु मसीह को चढ़ाया गया, उस पर उस समय की भाषा में लिखा था- नासरत का यीशु मसीह यहूदियों का राजा है। उस समय भी यीशु मसीह ने ये कहा, हे पिता परमेश्वर, इन लोगों को माफ करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं। उन्होंने हमें दूसरों को क्षमा करने का संदेश दिया। हम विश्वास करते हैं कि समस्त मानव जाति के पापों का उद्धार करने के लिए उन्होंने सूली पर अपनी जान दी। मसीह पर विश्वास करने वालों को पापों से छुटकारा मिलता है।
साभार: संजोग वालटर