लखनऊ
कल से बिजली कर्मचारियों के प्रदेशव्यापी कार्यबहिष्कार और संभावित हड़ताल से प्रदेश में बिजली संकट की अप्रिय स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील वर्कर्स फ्रंट ने की है। वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष इंजी. दुर्गा प्रसाद द्वारा मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में ऊर्जा प्रबंधन और बिजली कर्मचारियों के बीच बढ़ते टकराव और हड़ताल जैसी स्थिति के लिए ऊर्जा प्रबंधन के अड़ियल रवैया अपनाने को जिम्मेदार ठहराया है। ऊर्जा प्रबंधन का स्वेच्छाचारी रवैया व कर्मचारियों-अभियंताओं का उत्पीड़न मौजूदा हालात की प्रमुख वजह है। उत्पीड़न पर रोक लगाने और प्रबंधन द्वारा कार्यशैली में बदलाव लाने के बजाय कल से होने वाले कार्यबहिष्कार में कर्मियों के विरुद्ध एस्मा लगाने की धमकी उकसावा मूलक कार्रवाई है इससे कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है और हालात तनावपूर्ण हो गये हैं। हड़ताल जैसे हालात और प्रदेश में बिजली संकट की अप्रिय स्थिति से बचने के लिए मुख्यमंत्री से वर्कर्स फ्रंट ने आग्रह किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार कर्मचारियों को तत्काल वार्ता के लिए आमंत्रित करे, ऊर्जा प्रबंधन के स्वेच्छाचारी रवैये और कर्मचारियों के उत्पीड़न पर रोक लगाई जाये और मनमाने ढंग से बर्खास्त व निलंबित किये गए अभियंताओं व कर्मचारियों को तत्काल बहाल किया जाये। वर्कर्स फ्रंट द्वारा मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में किसानों को मुफ्त बिजली मुहैया कराने व मीटरिंग पर रोक लगाने, मीटरिंग के लिए 25 हजार करोड़ की प्रस्तावित टेंडर प्रक्रिया रोकने, संविदा कर्मचारियों को हर हाल में बोनस, न्यूनतम मजदूरी आदि सुनिश्चित करने, संविदा कर्मियों को नियमित करने व संविदा कर्मियों की मजदूरी का वेज रिवीजन करने, बिजली कर्मचारियों के जीपीएफ मद के घोटाला किये गए 2268 करोड़ की रिकवरी डीएचएफएल से करने और इस घोटाले के दोषी अधिकारियों व इसके लिए जिम्मेदार अन्य लोगों पर कार्रवाई की मांंग की गई है। इसके अलावा पावर सेक्टर में निजीकरण की प्रस्तावित प्रक्रिया पर रोक लगाने और इलेक्ट्रीसिटी अमेंडमेंट बिल-2022 को रद्द करने के लिए इस आशय का प्रस्ताव प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार को प्रेषित करने की भी अपील की गई है। वर्कर्स फ्रंट ने बिजली कामगारों के शांतिपूर्ण आंदोलन और कल से प्रस्तावित कार्यबहिष्कार का समर्थन किया है।