लखनऊ
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार के संरक्षण में अयोध्या में जमीनों का महाघोटाला हुआ है. सरकार और भाजपा से जुड़े नेता, उदोगपतियों और अफसरशाहों ने सस्ते दर पर ज़मीन खरीद कर राजस्व का भारी नुकसान किया है. उन्होंने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और जमीन खरीदने वालों से 2022-2023 के सर्किल रेट से रीकवरी कराने की मांग की है.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 2019 में मन्दिर निर्माण के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या और उसके आसपास के इलाक़ों में जमीनों की क़ीमतें बढ़नी तय थीं. इसीलिए सरकार के क़रीबी लोगों ने अयोध्या में 2017 के बाद से जमीनों का सर्किल रेट नहीं बढ़ने दिया क्योंकि उन्हें स्थानीय लोगों से सस्ते दरों पर जमीन खरीदनकर मुनाफ़ा कमाना था.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि स्थानीय किसान दुर्गा प्रसाद यादव ने जब इस मुद्दे को 5 अक्टूबर 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में उठाया तब योगी सरकार ने 18 मई 2022 को हलफनामा दाखिल कर बताया कि सरकार ने सर्किल रेट बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन उसने पाया कि 2018, 2019, 2020 और 2021 में जमीनों के मुल्य 2017 के ही बराबर थे इसलिए जमीनों का सर्किल रेट नहीं बढ़ाया गया.

शाहनवाज़ आलम ने सवाल किया कि ऐसा कैसे हो सकता है कि इस दौरान अयोध्या से सटे बाराबंकी, सुल्तानपुर, गोण्डा और अंबेडकरनगर में तो जमीनों का सर्किल रेट बढ़ गया लेकिन अयोध्या के संदर्भ में कह दिया गया कि यहाँ जमीनों के रेट में कोई वृद्धि ही नहीं हुई है.

उन्होंने कहा कि इस मामले में एक अखबार में राज्य के स्टाम्प और पंजीयन महानिरीक्षक रूपेश कुमार का यह बयान प्रकाशित होना कि 2022 और 2023 में उन्होंने सरकार को अयोध्या में सर्किल रेट बढ़ाने का सुझाव दिया था लेकिन सरकार ने अनुमोदन नहीं किया स्पष्ट करता है कि योगी सरकार ख़ुद अयोध्या की जमीनों के महाघोटाले की संरक्षक है.