हिजाब पर जजों में मतभेद
दिल्ली :
कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध जारी रहना चाहिए या नहीं, इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने गुरुवार को अलग-अलग फैसला दिया. अब बड़ी बेंच का गठन करने के लिए CJI को मामला भेजा जा रहा है. जस्टिस सुधांशु धुलिया ने जहां कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला पलटने के पक्ष में फैसला लिखा है, वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने फैसला बरकरार रखने के पक्ष में फैसला दिया.
दोनों ही जजों ने अपने आदेश में अहम टिप्पणियां कीं. जस्टिस धुलिया ने धर्मनिरपेक्षता, संवैधानिक स्वतंत्रतता और लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “हमारे संविधान के कई पहलुओं में से एक है विश्वास .हमारा संविधान भी विश्वास का दस्तावेज है.” उन्होंने कहा, “यह जरूरी है कि स्कूलों में अनुशासन रहे लेकिन यह अनुशासन स्वतंत्रता, सम्मान की कीमत पर नहीं हो. एक स्कूल छात्रा को स्कूल के गेट पर हिजाब उतारने के लिए कहना उसकी गोपनीयता और गरिमा पर आक्रमण है. ” उन्होंने कहा, “यह आखिरकार पसंद का मामला है और कुछ नहीं. सभी याचिकाकर्ता हिजाब पहनना चाहते हैं. क्या लोकतंत्र में यह पूछना बहुत अधिक है? यह नैतिकता अथवा स्वास्थ्य के खिलाफ कैसे है?
जस्टिस धुलिया ने कहा कि इस मामले पर फैसला करते हुए उनके दिमाग में लड़कियों की शिक्षा की बात थी. उन्होंने कहा, ‘‘यह बात सभी जानते हैं कि ग्रामीण इलाकों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बच्चियों को पहले ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.तो क्या हम उनका जीवन बेहतर बना रहे हैं, यह सवाल भी मेरे दिमाग में था.”
वहीँ दूसरे जज जस्टिस हेमंत गुप्ता ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी. HC के फैसले पर सहमति जताते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा, “मतभेद हैं.” जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि इस मामले में हमारी राय अलग हैं. मेरे 11 सवाल हैं – पहला सवाल यह है कि क्या इसे बड़ी पीठ को भेजा जाना चाहिए? क्या हिजाब बैन ने छात्राओं को बाधित किया है? क्या हिजाब पहनना धर्म का अनिवार्य हिस्सा है? क्या हिजाब पहनना धार्मिक स्वतंत्रता के तहत है? उन्होंने कहा, “मैं अपील खारिज करने का प्रस्ताव कर रहा हूं.”