26 जनवरी हिंसा मामले में दीप सिद्धू को मिली जमानत
नयी दिल्ली: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 26 जनवरी को लालकिले पर हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार मशहूर पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू को जमानत दे दी है। दीप सिद्धू पर भीड़ को उकसाने का आरोप था। दिल्ली पुलिस ने सिद्धू को बीते 9 फरवरी को हरियाणा के करनाल से गिरफ्तार किया था।
भीड़ जुटाने का कोई साक्ष्य नहीं
सिद्धू की जमानत याचिका पर बहस के दौरान बचाव पक्ष ने कहा था कि उनका मुवक्किल भीड़ को जुटाने में बिल्कुल शामिल नहीं था। वहीं ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो जाता हो कि सिद्धू ने लोगों से वहां एकत्रित होने को कहा हो। आज तीस हजारी कोर्ट में दीप सिद्धू की तरफ से जमानत याचिका पर बहस के करते हुए वकील अभिषेक गुप्ता ने यह भी कहा कि यह प्रदर्शन किसान नेताओं ने आयोजित किया था। फिर उनका मुवक्किल तो किसी किसान यूनियन का सदस्य भी नहीं है।
किसी हिंसक कार्रवाई में शामिल नहीं
इसीलिए उस पर लगे भीड़ इकट्ठा करने और भड़काने के आरोप सरासर गलत बिना कसी तर्क के हैं। सिद्धू किसी हिंसक कार्रवाई में बिल्कुल शामिल नहीं था और न ही ऐसी कोई इच्छा भी रखता था। बचाव पक्ष के वकील का यह भी कहना था कि सिद्धू हिंसा भड़कने से पहले ही वहां से चला गया था। उसने बाद में स्वयं हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस का साथ भी दिया था। वहां मौजूद होने का यह मतलब कतई नहीं है कि वह खुद भी गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा भीड़ का हिस्सा हो गया।
बलि का बकरा
वकील अभिषेक ने दिल्ली पुलिस के ही साक्ष्यों का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस की तरफ से दो वीडियो साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए हैं, उनमें तो उल्टा दीप सिद्धू खुद भीड़ को शांत कराता दिख रहा है। फिर वह दोषी कैसे हुआ। बचाव पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि अगर जज चाहें तो वह इस वीडियो को अदालत में भी चलाकर दिखा सकते हैं। यह दलील भी दी गई कि सिद्धू ना सिर्फ एक मशहूर पंजाबी अभिनेता हैं बल्कि वह खुद एक अच्छे वकील भी हैं। एक जाना-पहचाना चेहरा होने के कारण उसे बलि का बकरा बनाया गया है।
26 जनवरी को हुई थी हिंसा
गौरतलब है कि 26 जनवरी लाल किले में हुए हिंसा में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान अवरोधकों को तोड़ कर दिल्ली में दाखिल हो गए थे और ITO सहित अन्य स्थानों पर उनकी पुलिस कर्मियों से उनकी झड़पें भी हुई थीं। कई प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लाल किले पर भी पहुंच गए थे और लाल क़िले की प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया था।