भाकपा (माले) ने बहराइच में दंगे के बाद बुलडोजर कार्रवाई पर खड़े किये सवाल
लखनऊ
भाकपा (माले) ने बहराइच में सांप्रदायिक दंगे के बाद महराजगंज गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के एक आरोपी सहित 30 घरों पर बुलडोजर कार्रवाई करने की सरकार की योजना पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी ने कहा कि घरों पर बुलडोजर चलाने की याद दंगे के बाद ही क्यों आयी? बहराइच में प्रशासनिक विफलता छिपाने के लिए एकतरफा कार्रवाई क्यों की जा रही है? जब आरोपी पहले से पुलिस की हिरासत में थे, तो उनके पैरों में गोली क्यों मारी गयी?
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा उपचुनावों को ध्यान में रखकर ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा दे रही है। बहराइच दंगे को शुरु करने में जहां उसका हाथ रहा है, वहीं दंगे के बाद की कार्रवाइयां भी उपचुनावों में राजनीतिक लाभ लेने की मंशा से संचालित हो रही हैं। चाहे वह आरोपियों की गिरफ्तारी का सवाल हो, उनके पैरों में पुलिस द्वारा गोली मारने की घटना हो या फिर बुलडोजर कार्रवाई की योजना हो। भाजपा उपचुनावों में हार के भय से यह कर रही है, ताकि वोटों का ध्रुवीकरण हो।
माले नेता ने दो आरोपियों को पुलिस द्वारा पैर में गोली मारने की घटना सहित दंगे की निष्पक्ष जांच और बुलडोजर कार्रवाई पर रोक की मांग की। कहा कि पुलिस कार्रवाई में एक घायल आरोपी की बहन के वायरल हुए वीडियो बयान ने हाफ एनकाउंटर की पुलिसिया कहानी को संदेह के दायरे में ला दिया है। मानो इसकी स्क्रिप्ट पहले से तय हो।
राज्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में ‘ठोक दो’ की नीति चल रही है। खबर के अनुसार महराजगंज में 30 घरों पर बुलडोजर कार्रवाई की नोटिस चस्पा की गई है। जबकि किसी के आरोपी या दोषी साबित होने पर भी घर पर बुलडोजर चलाना गैरकानूनी है। यह तब है जब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर न्याय पर रोक लगा रखी है। अतिक्रमण का रोना रोकर 30 घरों की महिलाओं, बच्चों को सड़क पर लाने की योजना है। समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। प्रदेश में मुख्यमंत्री का बुलडोजर घरों पर ही नहीं संविधान और लोकतंत्र पर भी चल रहा है।