यूपी में कोरोना की स्थिति भयावह, नाकारा हैं यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ: प्रियंका गांधी
लखनऊ: अखिल भारतीय कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोरोना की भयावहता को देखते हुए आपात बैठक बुलाई। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष, नेता कांग्रेस विधायक दल, पीसीसी के उपाध्यक्ष, महासचिव समेत राष्ट्रीय महासचिव के सलाहकार मण्डल और रणनीति समिति के सदस्य शामिल थे।
महासचिव प्रियंका गांधी ने जारी बयान में कहा कि यूपी में कोरोना महामारी की दूसरी लहर बहुत तेजी से फैल रही है। पूरे सूबे से जो खबरें आ रही हैं वह बेहद दुःखद और दिल दहलाने वाली हैं। आज सुबह मैंने उ0प्र0 कांग्रेस की सलाहकार और रणनीतिक समिति के सदस्यों, पार्टी के विधायकों, प्रदेश कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं प्रदेश के प्रत्येक कोने में स्थित मंडल प्रभारियों से कोरोना से उत्पन्न विपत्ति पर चर्चा की।
यूपी प्रभारी महासचिव ने कहा कि ’कांग्रेस पार्टी इस विपत्ति की घड़ी में प्रदेश की जनता के साथ खड़ी है। हमारी पार्टी जनता को हर तरह से सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।’ साथ ही साथ हमारा फर्ज है कि संक्रमित लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए हम सरकार से मांग करें। उनके सवालों के लिए लड़ें। यह विपक्ष का धर्म है और हम दृढ़ता से इसे निभाएँगे।
उन्होंने कहा कि यूपी की स्थिति सबसे ज्यादा विस्फोटक होने के कगार पर है जबकि यूपी सरकार लगातार आंकड़े छुपा रही है। अगर ’यूपी सरकार कोरोना महामारी के पहले दिन से ही सचेत रही होती तो शायद आज इस तरह के दिन नहीं देखने पड़ते।’ इस महामारी में पहले ही दिन से बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था करने के बजाय सरकार ने संक्रमण के आंकड़े और मौतों की संख्या को लगातार कवर-अप किया है।
श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार की कोई व्यवस्था और प्लानिंग ही नहीं दिख रही है, इसकी बजाय ऐसा लग रहा है कि यूपी की जनता पर दोतरफा वार हो रहा है – ’एक तरफ से कोरोना और दूसरी तरफ से योगी सरकार की नाकाम, असंवेदनशील और गैर जिम्मेदार व्यवस्था। यह सारी स्थितियां सरकार और मुख्यमंत्री जी की अदूरदर्शिता और नाकारेपन के कारण भी हुईं हैं।’ फिर भी उन्हें अभी भी केवल अपनी छवि की चिंता है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में यूपी सरकार के इस रवैए ने प्रदेश की जनता को मौत के मुँह में धकेलने का कार्य किया है। 5 से 11 अप्रैल के बीच पूरे देश में कोरोना के 70 प्रतिशत मामले बढ़े हैं तो उत्तर प्रदेश में इस दौरान कोरोना मामलों में 281 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यूपी की 24 करोड़ आबादी में से अब तक एक करोड़ लोगों को भी टीके नहीं लग पाएँ हैं।
महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि आज स्थिति यह हो गयी गई कि यूपी की राजधानी लखनऊ में लाशों की कतार लग गई हैं। शवदाहगृहों पर लकड़ियों की कमी हो गयी है। प्रदेश का आम आदमी अपने परिजन का अंतिम संस्कार भी सम्मानित तरीके से करने में लाचार है। सुबह से देर रात तक शवगृहों और कब्रस्तानों में लोग अपने मृत प्रियजनों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जांच किटों की उत्तर प्रदेश में भारी कमी पड़ गयी है। जांचों के लिए लम्बी वेटिंग है। एडमिट होने में बेड के लिए वेटिंग है। ऑक्सीजन के लिए लम्बी वेटिंग है। अंतिम संस्कार के लिए लम्बी वेटिंग है। एम्बुलेंस के लिए वेटिंग है।
महासचिव ने कहा कि प्रदेश के कानून मंत्री की चिठ्ठी में साफ-साफ लिखा है कि लखनऊ में प्राइवेट अस्पतालों में जांच नहीं हो रही है। सरकारी संस्थानों के हालात यह हैं कि कोरोना की जांच रिपोर्ट में कई दिन लग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मीडिया के मुताबिक यूपी में हो रही समस्त जाँचों में आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या पचास फीसदी से भी कम है बाकी जांच हवा हवाई हैं। खबरों के अनुसार निजी अस्पतालों में रेमडेसिविर के लिए डीएम से परमिशन लेना पड़ रहा है जिसमें बहुत अधिक समय लग रहा है। और तो और, अस्पतालों में एडमिशन सीएमओ की स्लिप के बिना नहीं किया जा सकता।
जारी बयान में प्रियंका गांधी ने कहा है कि यह कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि लखनऊ के इनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले बड़े मशहूर इतिहासकार पद्मश्री श्री योगेश प्रवीण को लेने घंटों तक एम्बुलेंस नहीं पहुंचीं और उन्होंने निजी वाहन में अस्पताल जाते हुए दम तोड़ दिया। सरकार के कानून मंत्री तक सहायता के लिए गुहार लगाते रहे पर मदद नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि यूपी में लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर, मेरठ, झांसी और गौतमबुद्ध नगर की स्थितियां विस्फोटक हो गयी हैं। लखनऊ जैसे शहर में मात्र 531 आईसीयू बेड हैं, जबकि मरीजों की तादात 13,000 से भी अधिक है।
महासचिव ने कहा कि पूरे प्रदेश में प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारियों की भयंकर कमी है। प्रदेश के जिला अस्पतालों में डाक्टरों के लगभग 5000 पद खाली हैं। प्रदेश भर के ब्लॉक स्तर के स्वास्थ केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला स्तर के अस्पतालों में लगभग 45000 डॉक्टर होने चाहिए। परंतु मात्र 13000 डॉक्टर तैनात हैं।
उन्होंने कहा कि विडंबना देखिए कि ’बहुमत की इस सरकार ने अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने के लिए पूरे साल कुछ नहीं किया और आज इन्हें श्मशान घाटों की क्षमता बढ़ानी पड़ रही है।’