कोरोना से दुनिया में 1.6 अरब नौकरियों पर पड़ेगी मार
नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी की वजह से काम के घंटों में गिरावट के बाद दुनिया भर में असंगठित क्षेत्र के 1.6 अरब श्रमिकों के सामने रोजगार खोने का संकट खड़ा हो गया है। यह संख्या विश्व स्तर पर कुल श्रमिकों की आधी के बराबर है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने कहा कि 43 करोड़ से ज्यादा उद्यम बेहद प्रभावित हैं जिसमें खुदरा और उत्पादन वाले क्षेत्र शामिल हैं। यह जानकारी आईएलओ मॉनिटर के तीसरे संस्करण ‘कोविड-19 और काम की दुनिया’ में बुधवार को प्रकाशित हुई। वैश्विक स्तर पर करीब 3.3 अरब श्रमिक हैं। करीब दो अरब नौकरियां असंगठित अर्थव्यवस्था वाले क्षेत्र में हैं और ये ऐसे श्रमिक हैं जिनकी नौकरियां जाने का सबसे ज्यादा खतरा है।
एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से आर्थिक गिरावट से असंगठित क्षेत्र के 1.6 अरब लोगों के सामने आजीविका कमाने का संकट खड़ा हो गया है। आईएलओ के अनुसार बंद और बेहद प्रभावित क्षेत्रों में काम करने वाले ऐसे श्रमिकों की आय में बंद के पहले महीने में वैश्विक स्तर पर 60 फीसदी की गिरावट हुई है। आईएलओ ने कहा कि अफ्रीका और अमेरिका में 80 फीसदी से अधिक गिरावट, यूरोप और मध्य एशिया में 70 फीसदी और एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 21.6 फीसदी है। आईएलओ के महानिदेशक गाय रेडर ने कहा कि महामारी और नौकरियों के संकट की वजह से इन श्रमिकों की आजीविका को सुरक्षित करना बेहद जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि लाखों श्रमिकों के लिए कमाई नहीं होने का मतलब भोजन का जरिया खत्म होना है और उनका भविष्य डूब जाएगा। दुनिया भर में लाखों कारोबार दम तोड़ने को हैं।
आईएलओ ने अनुमान जताया है कि कोरोना संकट से पहले की तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में काम के घंटों में 10.5 फीसदी की गिरावट हो सकती है। यह 30.05 करोड़ फुलटाइम नौकरी के बराबर है। इससे पहले 7 अप्रैल को आईएलओ ने अनुमान जताया था कि कोरोना के कारण वैश्विक स्तर पर 19.5 करोड़ कामगार प्रभावित होंगे और काम के घंटों में 6.7 फीसदी की गिरावट आएगी। संगठन ने कहा कि 43.6 करोड़ एंटरप्राइजेज, कारोबार और स्वरोजगार पर ज्यादा खतरा है। हालांकि अभी लंबी अवधि के परिदृश्य को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
आईएलओ ने श्रमिकों और व्यापार, विशेष रूप से छोटे उद्यमों और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में दोनों का समर्थन करने के लिए “तत्काल, लक्षित और लचीले उपायों” का आह्वान किया और यह कहा कि आर्थिक पुनर्सक्रियन के उपायों को एक रोजगार-समृद्ध दृष्टिकोण का पालन करना चाहिए, जो कि मजबूत रोजगार नीतियों और संस्थानों द्वारा समर्थित है, बेहतर-पुनर्जीवित और व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली। प्रोत्साहन पैकेज और ऋण राहत उपायों पर अंतर्राष्ट्रीय समन्वय भी वसूली को प्रभावी और स्थायी बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा। आईएलओ ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रोत्साहन पैकेज और ऋण राहत उपायों पर अंतर्राष्ट्रीय समन्वय वसूली को प्रभावी और स्थायी बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।