व्यंग्य …….कोरोना सर्टिफिकेट अब आपकी पहचान
वी के पांडेय
देश का प्रधानमंत्री जब बोले तो उसे सुनना चाहिए l केवल सुनने से काम नहीं चलेगा, उसे गंभीरता से सुनकर अमल में भी लाना चाहिए l लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अमल में तो तब लाएंगे जब आप लोग यह समझ पाएंगें कि आखिर प्रधानमंत्री ने कहा क्या?
देखिए प्रधानमंत्री बड़ा आदमी होता है, उसकी नजर हमेशा आसमान पर रहती है, जमीन की तरफ देखना तो उसकी तौहीन है l इसलिए वह बड़े लोगों के लिए गूढ़भाषा में बहुत ही गूढ़ और बड़ी बात बोलता है l बात चूँकि गूढ़ और बड़ी होती है इसलिए बड़े लोग तो उसके इशारे को समझ जाते हैं और मिशन पर लग जाते हैं जैसे; अपने गृहमंत्री अमितशाह जी बिहार चुनाव में लग गए l
देखिए जो मिशन पर लगेगा वही लाभ उठाएगा l जिसको लाभ मिलेगा वह तो कहेगा ही कि कोरोना वास्तव में संकट नहीं अवसर है और इसे हमेशा बना रहना चाहिए जिससे हम आत्म-निर्भर बन सकें l वहीँ अस्सी फीसदी नासमझ किसान, गरीब, मजदूर, दलित और पीड़ित इत्यादि निम्न श्रेणी के लोग पधानमंत्री को कोसने में लग जाते हैं l उनको यह नहीं पता होता कि आखिर इससे देश की साख को दुनिया में बट्टा लगता हैl जिसे मुझ जैसा कोरोनालॉजिस्ट कैसे पचा पाएगा, विपक्ष भी नहीं हूँ कि शोर मचाकर वोट बैंक ही मजबूत करके वायब्रेटिंग मोड पर चला जाऊं l
मैं तो इस रहस्य से पर्दा उठाऊंगा जिससे आपलोग भी इस संकट को अवसर के रूप में देखने में सफल हो सकें और उससे लाभ उठाकर आत्म-निर्भर होने की तरफ उसी प्रकार चल सकें जैसे सिंधिया जी चले l इस गूढ़भाषा की कोरोनोलाजी मेरे आलावा किसी भी नागरिक, समाजसेवी, और बुद्धजीवी में बताने का साहस नहीं है l मैं साहस इसलिए कर पा रहा हूँ क्योंकि मेरी कोई कोरोनोलोजी नहीं है, मुझे फिलहाल निकट भविष्य में कोरोनोलाजी ग्रुप में शामिल होने का चांस भी नहीं दिखता l
मैं कोरोनोलाजी ग्रुप में शामिल होकर आपलोगों का साईलेंट किलर बनूँ इससे पहले इस दिव्यज्ञान को आपके सामने उड़ेल देना चाहता हूँ, क्योंकि इस प्रकार की नासमझी; भुखमरी, बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, अज्ञानता और महामारी से भी भयंकर है l मुद्दे की बात पर आते हैं l प्रधानमन्त्री ने कहा ‘कोरोना एक अवसर है, आत्मनिर्भर बनने का’ इसी का उदाहरण देकर मैं समझाऊंगा l रोज-रोज हर बात समझाने भी नहीं आऊंगा आगे से आप लोग खुद ही समझना और लाभ उठाना l
अब देखिए कोरोना अवसर कैसे है ? कोई आदमी आपके पास आया और बोला मेरी माताजी के दांत में दर्द है अस्पताल ले चलो l आप उससे तुरंत कहिए हम कोरोना मरीज नहीं ढोते एम्बुलेंस बुलाईये l वह तुरंत कहेगा हमें कोरोना नहीं है, तब आप उससे तुरंत कोरोना सर्टिफिकेट दिखाने को कहें l उसके पास जब सर्टिफिकेट न निकले तो तुरंत सर्टिफिकेट न होने का सुविधाशुल्क चार्ज कर दीजिए l
यदि आप दांत के डाक्टर हैं तो आप बाहर लिखकर टांग दीजिए, यहाँ पर कोरोना मरीजों का इलाज नहीं होता l अब दांत का रोगी कहेगा कि साहब हमे कोरोना नहीं है l तब आप तुरंत कहें सर्टिफिकेट प्लीज l अब वह गिड़गिड़ायेगा साहब देख लीजिए आप भी इंसान हैं, इंसान ही इंसान के काम आता है l
अब आप थोड़ी देर बाद सर खुजलाते हुए नाटक करते हुए बोलिए देखिए कोरोना जांच की कीमत सरकार ने Rs.4,500/- तय की है लेकिन बात मानवता की है तो Rs.2,500/ डिस्काउंट कर दे रहा हूँ Rs.2,000/ दे दो बस, मैं कोरोना सर्टिफिकेट भूल जाऊँगा l मतलब आपने कोरोना सर्टिफिकेट भूलने का चार्ज लिया, यही है अवसर l
यदि आप कोरोना अस्पताल से ही जुड़े हैं तो आने वाले मरीजों के तीमारदारों से सीधे बोलिए अस्पताल के सभी बेड फुल हैं l हमारे यहाँ भर्ती नहीं हो सकती l तीमारदार जब गिड़गिड़ाये तो उससे कहिए जुगाड़ लगाना पड़ेगा, जिसके लिए पांच हजार रुपए लगेगा l इससे आप बगैर लागत के आमदनी कर लेंगें, इसे कहते हैं दूसरे के संकट को अपने अवसर के रूप में बदलना l
इसलिए आप जहां भी जिस पद और जगह पर हैं उसको कोरोना से जोड़ दीजिए, जैसे आज हर चीज आधार से जोड़ दी गयी है l जैसे सिमकार्ड के बिना मोबाईल में घंटी नहीं बज सकती, आधार कार्ड के बिना आपकी पहचान नहीं हो सकती उसी प्रकार अब कोरोना सर्टिफिकेट को अपनी भाषा और जीवन शैली के साथ टैग कर लीजिए l इससे आप कोरोना को संकट के रूप में नहीं देखेंगे इसे अवसर में बदलकर आत्मनिर्भर बनने की तरफ लंबी छलांग लगा सकेंगे l आगे से आप लोग प्रधानमन्त्री की बातों को समझने का खुद प्रयास करेंगें ऐसी मुझे उम्मीद है l
(V.K.PANDEY), A-1355/6, INDIRA NAGAR, LUCKNOW 9415463326