खाने का तेल अभी और बिगाड़ेगा रसोई का बजट
बिजनेस ब्यूरो
खाने के तेल की बढ़ती कीमतें काबू में नहीं आ रही हैंं. दो दिन पहले खाद्य तेल की कीमतों को लेकर एडवाइजरी करने के बाद अब सरकार ने राज्यों से कहा है कि वह मिलर्स और स्टॉकिस्ट के पास मौजूदा स्टॉक का खुलासा करे ताकि कीमतों को काबू कर सके.
खरीफ सीजन में तिलहन के रकबे में कमी ने भी सरकार की परेशानी बढ़ा दी है. इस बार यह रकबा 1.6 फीसदी घट कर 192.6 लाख हेक्टेयर रह गया है. सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन का कहना है कि सोयाबीन का रकबा घट कर 115.5 लाख हेक्टेयर रह सकता है, जबकि सरकार ने शुक्रवार को कहा था कि यह 121.7 लाख हेक्टेयर रहेगा. पिछले खरीफ सीजन में सोयाबीन का रकबा 128 लाख हेक्टेयर था.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पाम ऑयल कीमतों में 42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह 133.75 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है. पिछले साल सितंबर में यह महज 94.19 रुपये प्रति किलो था. सोयाबीन तेल की कीमत 47 फीसदी बढ़ कर 153.42 रुपये प्रति किलो बढ़ गई है. पिछले साल इसकी कीमत 104.29 रुपये प्रति किलो थी.
सूरजमुखी तेल की कीमत पिछले साल 115.90 रुपये प्रति किलो थी जो इस साल सितंबर में बढ़ कर 48 फीसदी बढ़ कर 171.09 रुपये प्रति किलो हो गई . सरसों तेल की कीमत 40 फीसदी बढ़ कर 176.89 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है. पिछले साल इसकी कीमत 128.52 रुपये प्रति किलो थी. मूंगफली तेल की कीमत एक साल में 150.36 रुपये से बढ़ कर 181.11 रुपये प्रति किलो हो गई है.