श्री राम मंदिर ट्रस्ट के दो और सौदों पर विवाद
लखनऊ: अयोध्या में श्री राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा खरीदी जा रही जमीनों में दो और सौदे विवादों के घेरे में आ गए हैं. इन जमीन सौदों में अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय की अहम भूमिका है. एक जमीन जो दीप नारायण ने 20 लाख रुपये में खरीदी उसे राम जन्मभूमि को ढाई करोड़ में बेच दी गई. वहीं दूसरी जमीन जिसकी कीमत 27 लाख रुपये थी उसे भी मेयर के भतीजे ने राम मंदिर ट्रस्ट को एक करोड़ में बेची है.
बता दें कि मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में श्री राम मंदिर ट्रस्ट के द्वारा खरीदी जा रही दो और जमीन के सौदे सामने आए हैं. 20 फरवरी 2021 को अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय ने गाटा संख्या 135 से 890 वर्ग मीटर की जमीन अयोध्या के महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य से 20 लाख रुपये में खरीदी थी. खरीदी गई इस जमीन की कीमत सर्किल रेट के हिसाब से 35.6 लाख आंकी गई.
3 महीने बाद 11 मई 2021 को दीप नारायण ने कोट रामचंद्र हवेली की इसी जमीन को राम मंदिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ रुपये में बेच दी. जिस जमीन को 20 लाख में खरीदा गया उसे 3 महीने बाद मेयर के भतीजे ने राम मंदिर ट्रस्ट को ढाई करोड़ में बेच दी. सबसे बड़ी बात इस सौदे में गवाह ट्रस्ट की तरफ से अनिल मिश्रा भी मौजूद थे और यह 2.5 करोड़ रुपया उसी दिन दीप नारायण उपाध्याय के खाते में आरटीजीएस कर दिया गया.
गौरतलब है कि इस इलाके का सर्किल रेट 4,000 प्रति वर्ग मीटर है, लेकिन मंदिर को यह जमीन 28,090 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बेच दी गई.
इतना ही नहीं दीप नारायण उपाध्याय ने इसी दिन 20 फरवरी को एक और जमीन राम मंदिर ट्रस्ट को बेची. गाटा संख्या 36-एम में से 676.86 वर्ग मीटर जमीन का एक टुकड़ा भी दीप नारायण उपाध्याय ने राम मंदिर ट्रस्ट को एक करोड़ में बेचा. जबकि सर्किल रेट के हिसाब से इस जमीन की कीमत 27.08 लाख निकलती है.
जिस जमीन की कीमत 4,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर है उसे ट्रस्ट को 14,774 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बेच दिया गया. जमीन के इस सौदे में भी ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा गवाह हैं.
गौरतलब है कि अयोध्या में अभी 2 करोड़ की जमीन साढ़े 26 करोड़ में ट्रस्ट द्वारा खरीदने का विवाद शांत भी नहीं हुआ था कि अब इससे बड़े एक विवाद ने सिर उठा लिया है. इस बार उंगली सीधे अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और राम मंदिर ट्रस्ट पर उठ रही है. जहां लाखों की जमीन तीन महीने में ही करोड़ों की हो गई. सिर्फ तीन माह में ही जमीन 2 करोड़ 50 लाख की कैसे हो गई, ये सवाल खड़ा हो गया है.
सवाल यही नहीं है कि तीन महीने में ही जमीन 20 लाख से ढाई करोड़ की कैसे हो गई, सवाल यह भी है कि जब दीप नारायण (मेयर का भतीजा) जमीन खरीदते हैं तो जमीन की मालियत रहती है 35 लाख 60 हजार. जिसका वह स्टाम्प शुल्क चुकाते हैं 2 लाख 46 हजार 380 रुपये. तीन महीने बाद जब श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट उनसे 20 लाख की जमीन ढाई करोड़ में खरीदता है तो भी जमीन की सरकारी मालियत होती है 35 लाख 60 हजार. अब सवाल उठता है कि एक ही मालियत वाली जमीन पर स्टाम्प शुल्क में इतना अंतर कैसे? यह सवाल भी आने वाले दिनों में उठ खड़ा होगा.