कांग्रेस उठाएगी घर लौट रहे जरूरतमंद मजदूरों के रेल टिकट का खर्च
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को अपने-अपने घर लौटने की अनुमति मिल गई है। लेकिन केंद्र सरकार ने रेल किराये का सारा खर्च मजदूरों से वसूलने का फैसला लिया है। इस पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। साथ ही गांधी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी सभी जरूरतमंद मजदूरों के रेल टिकट का खर्च उठाएगी। राहुल गांधी ने भी रेलवे द्वारा मजदूरों से किराया वसूले जाने पर सवाल उठाए हैं।
सोनिया गांधी ने बयान जारी कर कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मेहनतकश श्रमिकों और कामगारों की निःशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार बार उठाया है। दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने।
इसलिए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे में जरूरी कदम उठाएगी। मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का यह योगदान होगा।”
सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाऊन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए। 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन। उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी।
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक व कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा। दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं। जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से नि:शुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में नि:शुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकता?”