महात्मा गांधी की राखी सावंत से तुलना करना बापू का ही नही, सुभाष चन्द्र बोस का भी अपमान है: कृष्णकांत पांडेय
यूपी विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने महात्मा गाँधी की तुलना राखी सांवत से करके बापू का ही नहीं, उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि देने वाले नेता जी सुभाषचन्द्र बोस का भी अपमान है। यह आरोप लगाते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता कृष्णकांत पांडेय ने कहा कि श्री दीक्षित का यह बयान महिलाओ के प्रति भाजपा के संकुचित व आपत्तिजनक दृष्टि का भी खुलासा करती है। उन्होंने आधी आबादी का अपमान किया है। अपना नाम लिखवाकर दस लाख का सूट पहनने वाले नेता को अपना आदर्श मानने वाले कभी नहीं समझ सकते कि महात्मा गाँधी ने अपने वस्त्रों का त्याग करके इस देश के सबसे ग़रीब आदमी की वेशभूषा क्यों अपनायी थी।
श्री पांडेय ने कहा कि इस बयान के लिए श्री दीक्षित को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। संस्कारों की बात करने वाले आरएसएस और बीजेपी के नेता राष्ट्रपिता के अपमान का कोई मौका छोड़ते नहीं हैं। उन्हें समझ लेना चाहिये कि बापू को दुनिया महात्मा गाँधी को शांतिदूत मानती है। सयुंक्त राष्ट्रसंघ बापू के जन्मदिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप मनाता है। अमेरिका उन्हें अपना सर्वोच्च सम्मान दे रहा है। मार्टिन लूथर किंग से लेकर नेल्सन मंडेला तक महात्मा गाँधी को अपना आदर्श मानते रहे हैं। महात्मा गाँधी के विचार इस हिंसक समय में दुनिया बचाने का एकमात्र रास्ता है।
कांग्रेस प्रवक्ता कृष्णकांत पांडेय ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि मुसोलिनी से प्रेरणा प्राप्त करने वाली संघ की विचारधारा भारतीय सभ्यता के साथ देश के महानायकों के प्रति सदैव अपमानजनक भाषा का उपयोग करती रही है। विडंबना तो यह है कि यह बयान प्रबुद्ध सम्मेलन में दिया गया, यह बताता है कि आरएसएस और बीजेपी की बौद्धिकता से रिश्ता क्या है? भाजपा व संघ की मानसिकता क्या है यह पूरा देश जान चुका है।
श्री पांडेय ने कहा कि महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारत ने आज़ादी की जैसी जंग लड़ी वो दुनिया के लिए मिसाल है, लेकिन अंग्रेजों की चाटुकारिता में जुटी आरएसएस और उसके संगठनों की विचारधारा हमेशा उनका विरोध करती रही। जिस तरह आज बीजेपी हर विरोधी को देशद्रोही बताती है, अगर वैसे ही कभी बापू ने संघ को देशद्रोही कह दिया होता तो वह कलंक कभी न मिट पाता। श्री दीक्षित के बयान से पूरा देश आहत है। उन्हें जल्द से जल्द देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।