नई दिल्ली: लद्दाख में पैंगॉन्ग लेक के जिन फिंगर्स इलाकों को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद चल रहा है, वहां एक खुली हुई मैदानी सतह पर चीन ने एक बहुत ही बड़ा सा मैंडेरिन प्रतीक और चीन का मानचित्र बनाया है. यह प्रतीक ‘फिंगर 4’ और ‘फिंगर 5’ के बीच बना है. इसकी लंबाई लगभग 81 मीटर और चौड़ाई 25 मीटर के आसपास है. यह निशान इतना बड़ा है कि इसे सैटेलाइल इमेज में आसानी से देखा जा सकता है. अभी इसी हफ्ते तिब्बत में मौजूद चीनी सेना के ओवरऑल कमांडर वांग हाईजांग की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वो भारत-चीन सीमा से लगे बिल्कुल सरहद पर जहां ‘चीन’ लिखा हुआ है, उसे पेंट करते हुए नजर आए थे.

किसे कहा जाता फिंगर्स क्षेत्र
इस इलाके में ‘फिंगर्स’ उन नुकीले चट्टानों वाले इलाकों को कहा जाता है, जो काफी ऊंचाई पर स्थित पैंगॉन्ग लेक से लगते हुए फैले हुए हैं. भारत का मानना है कि उसका फिंगर 1 से फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करने का अधिकार है. वहीं चीन मानता है कि वो फिंगर 8 से फिंगर 4 तक पेट्रोलिंग कर सकता है. वर्तमान में फिंगर 4 दोनों देशों के बीच स्टैंडिंग पॉइंट यानी सीमा बना हुआ है. यहीं पर मई महीने में दोनों देशों के जवानों के बीच झड़पें हुई थीं, जिसमें चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कील और तार लगे हुए रॉड और छड़ों से हमला किया था. इसी फिंगर 4 इलाके में काफी बड़ी संख्या में चीनी सेना मौजूद है, जो भारतीय सेना को फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करने से रोकती है.

चीनी सेना की बड़े स्तर पर मौजूदगी
Planet Labs से मिली तस्वीरों में दिख रहा है कि उस इलाके में चीनी सेना कितने बड़े स्तर पर मौजूद है, जहां मई की झड़पों के बाद से चीन की ओर से भारतीय जवानों की पेट्रोलिंग में दखल डाला जा रहा है. इन झड़पों में दर्जनभर भारतीय जवानों के घायल होने की आशंका जताई गई थी. NDTV की खबर के मुताबिक तस्वीरों में कम से कम 186 शेल्टर्स, अलग-अलग आकार के टेंट और पहले से बनाए गए हट दिखाई दे रहे हैं. ये संरचनाएं पैंगॉन्ग लेक से लेकर एक चोटी से लगती हुई आठ किलोमीटर अंदर चीनी क्षेत्र तक जाती हैं. फिंगर 5 में लेक के पास एक घाट जैसी जगह दिख रही है, जहां दो चीनी फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट यानी हाई-स्पीड इंटरसेप्टर बोट देखे जा सकते हैं. फिंगर 4 में चीनी सेना की ओर से बड़े स्तर पर निर्माण गतिविधियां होती दिखाई दे रही हैं. हालांकि, फिंगर 1 और फिंगर 3 के बीच में भारतीय सेना की पोजीशन की ओर चीनी सेना के मूवमेंट का कोई प्रामाणिक साक्ष्य नहीं दिख रहा है.