बाल हिंसा के खिलाफ बच्चों ने निकाली रैली!
लखनऊ ब्यूरो
इनिशिएटिव फाउन्डेशन इंडिया के तत्वावधान में आज विश्व बाल अधिकार दिवस के अवसर पर “बच्चों के संवैधानिक अधिकार- जमीनी हकीकत और चुनौतियां” विषय पर बुद्धेश्वर, में संवाद का आयोज हुआ। संवाद के अंत में बाल हिंसा के खिलाफ जागरूकता रैली निकाली गई जिसे उ.प्र. बाल आयोग के सदस्य श्री श्याम जी त्रिपाठी और सामाजिक कार्यकर्ता गोकुल दलित ने नीले गुब्बारे आसमान में उड़ाकर रैली को रवाना किया। रैली में शामिल सैकड़ों की संख्या में बच्चे, बडे व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों में प्लेकार्ड तख्तियां लहराते हुए बच्चों के साथ हिंसा बंद करो। “बच्चों को पढ़ाना है-देश को आगें बढाना है”, “बाल मजदूरी बंद करों” “बच्चों के हाथों में काम नहीं, कलम और किताब दें” जैसे जोरदार नारे लगाये।
बुद्धेश्वर में आयोजित संवाद को संबोधित करते हुए इनिशिएटिव फाउन्डेशन इंडिया के निदेशक अमित मिश्रा ने आज के दिन की महत्त्व को बताते हुए कहा की बाल अधिकार देश के हर बच्चे को प्राप्त अधिकार हैं। लेकिन कोविड-19 महामारी आने के बाद से गरीब बच्चे सबसे अधिक हिंसा और शोषण का शिकार हो रहे हैं। तमाम कानून होने के बावजूद भी बाल मजदूरी, बाल हिंसा,बाल विवाह, बच्चों में कुपोषण खत्म होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। वह दिन कब आएगा जब कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। संविधान में दिए हुए बाल अधिकार क़ानून का सही पालन हो ताकि बच्चों के जीवन, शिक्षा, संरक्षण, स्वतंत्रता, सहभागिता के अधिकार को सुनिश्चित कर बच्चों के बेहतरी के साथ-साथ स्वच्छ समाज का निर्माण हो। उन्होंने बच्चों के अधिकारों की संरक्षण के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील करते हुए समाज के प्रबुद्ध वर्ग से भी आगे आने की अपील किया ताकि बच्चे अपने सपनों को पूरा कर सकें।
आयोजित कार्यक्रम में वन स्टाप सेंटर लखनऊ की इंचार्ज सोनल ने कहा की आज हर बच्चे को भोजन, शिक्षा,स्वास्थ्य के साथ खुशनुमा माहौल में रहने, पूर्ण सुरक्षा पाने के साथ साथ हिंसा के शिकार बच्चों सहित महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता पाने का अधिकार हैं. अब अधिकारों का हनन होने पर आप चुप ना बैठे अपने अधिकारों का उपयोग कर शिकायत दर्ज कराये। आपको निःशुल्क मदद उपलब्ध कराने के लिए वन स्टाप सेंटर हेल्पलाइन 181 काम करता हैं। जब भी आपको कानूनी सहायता की आवश्यकता हो तो आप सब मदद लें सकते हैं।
संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य बाल आयोग उ.प्र. के सदस्य श्याम त्रिपाठी ने कहा की आज जितना बड़ों को अधिकार मिला है उससे कहीं ज्यादा आप सभी बच्चों को भी अधिकार मिले हैं। आप सभी बच्चे अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर खूब पढ़े और आगे बड़े। बच्चों के लिए शिक्षा विकास की पहली सीढ़ी है। शिक्षा पाना हर बच्चे का अधिकार है। हर बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने का अधिकार है। कोविड काल में अनाथ हुए बच्चों को चिन्हित कर उनकी देखरेख, भरण, पोषण की जिम्मेदारी सरकार उठा रही हैं, सरकार स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा के साथ मध्यान्ह भोजन, यूनिफार्म और पुस्तकें भी प्रदान कर रही हैं। जिसे देश के हर बच्चे को पाने का हक है।
आयोजित कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था की सदस्य पूजा ने कहा कि दुनिया के सभी अधिकारों में बाल अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन इसके बावजूद भी सबसे ज्यादा बच्चों के साथ ही हिंसा हो रही हैं “बच्चे आज ना तो घर में सुरक्षित हैं ना ही बाहर”.
उन्होंने बच्चों को शिक्षा से जोडने और बालश्रम से मुक्त करने पर जोर देते हुए कहा की एक तरफ कोरोना महामारी के चलते बच्चों की शिक्षा पर बहुत बुरा असर पडा, तो वही दूसरी तरफ बालश्रम की ओर जाने की संख्या भी बढ़ी है। महामारी ने सभी को प्रभावित किया हैं। अगर हम एक बेहतर दुनिया देखना चाहते है तो हमें बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करना होगा। ऐसे बच्चे जो हिंसा का शिकार है या दिव्यांग है या समाज में हाशिये पर है, उन बच्चों के अधिकारों और बेहतरी के लिए हम सभी को आगे आना होगा तभी हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर पायेंगे।