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सिप्ला के संस्थापक, ख़्वाजा अब्दुल हमीद

1898 को अलीगढ़ में जन्मे ख़्वाजा अब्दुल हमीद देश के उन गिन-चुने शिक्षित मुस्लिमों में थे, जिन्हें विभाजन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना अपने साथ पाकिस्तान ले जाना चाहते थे, पर वे
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तौहीने रिसालत की सजा के लिए आलमी कानून बनाया जाए

डॉक्टर मुहम्मद नजीब क़ासमी मगरिबी मुल्कों में इस्लाम मुखालिफ अनासिर की तरफ से बार बार रहमतुल लिल आलमीन आखरी नबी हुजूरे अकरम सल्लललाहुअलैहे व सल्लम के कार्टून बनाकर दुनिया में अम्न व
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योगी सरकार मनाएगी वाल्मीकि जयंती पर क्यों?

एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट एक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार योगी सरकार इस बार उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर वाल्मीकि जयंती मनाएगी। मुख्य सचिव
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क्या वर्तमान दलित राजनीति का स्वर्णिम युग है?

-एस आर दारापुरी हाल में एक साक्षात्कार में चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने कहा है कि वर्तमान दलित राजनीति का स्वर्णिम काल है। वैसे आज अगर दलित राजनीति की दश और दिशा
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यौमे मीलादुन्नबी तजदीदे अहदे वफा और इन्कलाब का दिन

मोहम्मद आरिफ नगरामी “माहे रबीउल अव्वल” इस्लामी तारीख में इन्तेहाई रोशन व ताब नाक और जोफिशा महीना है। इस माहे मुबारक में कायनात की वह अजीम तरीन हस्ती आलमे वजूद में तशरीफ
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मोहम्मद स.अ. न होते तो कुछ भी न होता

मोहम्मद आरिफ नगरामी इन्सान अपनी जिन्दगी की रेनाईयों इसकी दिल फरीबों और उसकी शादाबियों दो आजेदों में यह भूल जाता है कि यह नेमतों कुदरत की अता करदा और उसकी फियाजियों की
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जामिया मिल्लिया इस्लामिया की सौ वर्षों की यात्रा

कमजोर वर्ग विशेष रूप से मुसलमानों की शैक्षणिक पिछड़ापन दूर करने में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली की महत्वपूर्ण भूमिका डॉक्टर मुहम्मद नजीब कासमी सम्भली 29 अक्टूबर 1920 की स्थापित “जामिया मिल्लिया इस्लामिया”
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दलित बनाम बहुजन

एस.आर. दारापुरी आई.पी.एस. (से.नि.) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट पिछले काफी समय से राजनीति में दलित की जगह बहुजन शब्द का इस्तेमाल हो रहा है. बहुजन अवधारणा के प्रवर्तकों के
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ट्रम्प के लिए बेअसर रही फाइनल डिबेट, बाइडेन की बढ़त बरक़रार

ज़ीनत क़िदवाई डेमोक्रेट उम्मदीवार जो बायडन, रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनल्ड ट्रम्प के साथ अपनी अंतिम चुनावी डिबेट में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी बढ़त बाक़ी रखने में सफल रहे और अगर अमरीका के
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सना खान की तौबा हमारे लिए ईबरत क्यों नहीं

डॉ0 मुहम्मद नजीब क़ासमी संभली इंसान गुनाह कर सकता है, मगर बेहतरीन इंसान वह है जो गुनाह करने के बाद अल्लाह तआला से सच्ची तौबा करले। सच्ची तौबा के लिए गुनाह पर