-एस आर दारापुरी हाल में एक साक्षात्कार में चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने कहा है कि वर्तमान दलित राजनीति का स्वर्णिम काल है। वैसे आज अगर दलित राजनीति की दश और दिशा
मोहम्मद आरिफ नगरामी “माहे रबीउल अव्वल” इस्लामी तारीख में इन्तेहाई रोशन व ताब नाक और जोफिशा महीना है। इस माहे मुबारक में कायनात की वह अजीम तरीन हस्ती आलमे वजूद में तशरीफ
मोहम्मद आरिफ नगरामी इन्सान अपनी जिन्दगी की रेनाईयों इसकी दिल फरीबों और उसकी शादाबियों दो आजेदों में यह भूल जाता है कि यह नेमतों कुदरत की अता करदा और उसकी फियाजियों की
कमजोर वर्ग विशेष रूप से मुसलमानों की शैक्षणिक पिछड़ापन दूर करने में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली की महत्वपूर्ण भूमिका डॉक्टर मुहम्मद नजीब कासमी सम्भली 29 अक्टूबर 1920 की स्थापित “जामिया मिल्लिया इस्लामिया”
एस.आर. दारापुरी आई.पी.एस. (से.नि.) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट पिछले काफी समय से राजनीति में दलित की जगह बहुजन शब्द का इस्तेमाल हो रहा है. बहुजन अवधारणा के प्रवर्तकों के
ज़ीनत क़िदवाई डेमोक्रेट उम्मदीवार जो बायडन, रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनल्ड ट्रम्प के साथ अपनी अंतिम चुनावी डिबेट में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी बढ़त बाक़ी रखने में सफल रहे और अगर अमरीका के
डॉ0 मुहम्मद नजीब क़ासमी संभली इंसान गुनाह कर सकता है, मगर बेहतरीन इंसान वह है जो गुनाह करने के बाद अल्लाह तआला से सच्ची तौबा करले। सच्ची तौबा के लिए गुनाह पर
आखिर भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने पार्टी छोड़ ही दिया. यह किसी को राजनीतिक घटना लग सकती है लेकिन यह दर्दनाक घटना है. खडसे जैसे नेता जो भाजपा की नीव
जीबीडी रिपोर्ट का दावा, भारत की 100 प्रतिशत आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर, पिछले वर्षों की तुलना में भारत में 2019 में प्रति व्यक्ति प्रदूषण का दबाव 6.5 माइक्रो
पटना से तौसीफ़ क़ुरैशी पटना।लोकतंत्र में चुनाव भी ऐसा मेला या उत्सव होता है कि इस मेले या उत्सव में शामिल क्या नेता क्या अभिनेता जनता जनार्दन के दरबार हाज़िरी लगाने को