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महामानव जी, देश को थोड़ा तो बख्श दो!

(व्यंग्य : विष्णु नागर) महामानव जी, देश की और हम-सब की, आपसे जितनी तरह से और भी जितनी बार ऐसी-तैसी हो सके, करना ; बस एक काम करना, ‘विकसित भारत’ बनाने का
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उत्तरप्रदेश चुनाव के नतीजे और राष्ट्रीय विपक्ष के लिए संदेश

(आलेख : सुभाषिणी अली, अंग्रेजी से अनुवाद : संजय पराते) 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले, मतदाताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर काफी बहस हुई थी। व्यापक रूप से यह माना
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पिछले 10 साल की तुलना किसी और दौर से नहीं की जा सकती

(आलेख : राम पुनियानी) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तरह-तरह के विवादों के घेरे में रहे हैं। हाल में लोकसभा अध्यक्ष बतौर अपने दूसरे कार्यकाल में पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद उन्होंने
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चर्चा हुसैनियत का ज़मीं आसमान में

झंडा बुलंद सच का  है सारे जहान में,चर्चा हुसैनियत का ज़मीं आसमान में। माह मोहर्रम आ गया। हर तरफ़ हुसैन हुसैन की सदायें बुलंद होने लगीं। हर ख़ास ओ आम दरे इमाम
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धर्मनिरपेक्षता पर संकट : भारतीय मुसलमानों के लिए चुनाव के बाद की वास्तविकताएँ

(आलेख : नदीम खान) भारतीय मुसलमानों ने 18वीं लोकसभा के चुनावों में विपक्षी दलों या इंडिया ब्लॉक के लिए काफ़ी समर्थन दिखाया। इस समर्थन ने चरम हिंदुत्व दल को 240 सीटों पर
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अप्रासंगिक होती प्रतियोगी परीक्षाएं और ढहती शिक्षा प्रणाली

(आलेख : संजय पराते) नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनएटी) की निष्पक्ष तरीके से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित कर पाने की असफलता ने न केवल इसमें घुसे भ्रष्टाचार को उजागर किया है, बल्कि
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संघ-भाजपा सीजन-2 से शुरू हुआ लड़खड़ाता मोदी 3.0

(आलेख : बादल सरोज) चुनाव खत्म होते ही घरेलू मेलोड्रामा का सीजन-2 शुरू हो गया। सीजन-1 का क्लोजिंग शॉट “अब हम बड़े हो गए हैं, अब हमें आर एस एस की मदद
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नालंदा महाविहार: क्या बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट किया?

डॉ. राम पुनियानी द्वारा (मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) 19 जून (2024) को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नालंदा के परिसर का औपचारिक
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फट्टेबाज जी से विनम्र निवेदन

(व्यंग्य : विष्णु नागर) अपने पीएम जी ने अभी भी दिल्ली की भाषा में फट्टे मारना नहीं छोड़ा है। दस साल तक फट्टे मारने का नतीजा अच्छी तरह भुगत चुके हैं, पर
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क्या गठबंधन की सरकार में नरेंद्र मोदी संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को याद रखेंगे?

(आलेख : मैथ्यू जॉन) आज देश में राजनीतिक वस्तुस्थिति यह है कि अधिनायकवाद समाप्त तो नहीं हुआ है, लेकिन उसका प्रभाव कुछ हद तक कम हुआ है। पिछले दस वर्षों से वह