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ख़्वाजा सैय्यद मोहम्मद यूनुस, आम और लखनऊ

डॉक्टर उमैर मंज़र बाज़ अफराद ऐसे होते हैं जो अपने कारनामों के सबब किसी शहर का चेहरा बन जाते हैं। लेकिन इस मंज़िल तक पहुँचने में एक उम्र बीत जाती है। ख़्वाजा
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क्या फांसी तक गोडसे का आरएसएस से जुड़ाव था?

(आलेख : कृष्ण प्रताप सिंह) पाठकों को याद होगा, कोई दशक भर पहले 2014 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राजेश कुंटे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इस आरोप में भिवंडी
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कांवड़िये : चारा भी, शिकार भी, हथियार में बदलते औजार भी

(आलेख : बादल सरोज) दिल्ली की ओर जाती सड़कें हैरान हैं, दिल्ली से हरिद्वार के सभी राजमार्गों पर कोहराम है, रोज उनसे गुजरने वाले यात्री और उनके आसपास रहने वाले नागरिक परेशान
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अडानीपरस्ती : इतना ज्ञान कहां से लाते हो माई-बाप?

(टिप्पणी : संजय पराते) सरकार अब माई-बाप है। वह कानून बनाती है, ताकि आम जनता इसके दायरे में रहे। लेकिन इस कानून को मानना या न मानना, उसकी मर्जी! इन कानूनों में
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‘महाराज’ : अंधभक्ति, अविवेक और धर्म-सत्ता — 2

(आलेख : जवरीमल्ल पारख) महाराज : अतीत में वर्तमान ‘महाराज’ एक फ़ीचर फ़िल्म है और यह पूरा आलेख फ़िल्म के तौर पर इसकी समीक्षा कम और उन्नीसवीं सदी के भारत के एक
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‘महाराज’ : अंधभक्ति, अविवेक और धर्म-सत्ता — 1*

(आलेख : जवरीमल्ल पारख) ओटीटी प्लेटफार्म ‘नेटफ्लिक्स’ पर 21 जून 2024 को यशराज फ़िल्म्स की महाराज फ़िल्म रिलीज़ हुई है। यह फ़िल्म पहले 14 जून 2024 को रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन
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एक ही सुर के गायक — हिंदू-मुस्लिम!

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) कहावत है, पूत के पांव पालने में ही दीख जाते हैं। मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले करीब पचास दिनों में ही, अपने पांव बखूबी दिखा
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हिंदू बहुसंख्यकवाद के ख़तरों और चुनौतियों की शिनाख्त़ करती एक ज़रूरी किताब

(आलेख : संजीव कुमार) ज्यादा दिन नहीं हुए, ‘द स्क्रॉल’ में एक दिलचस्प लेख पढ़ा था — Civil Society Emerges as Quiet but Formidable Challenger to Modi Govt in the 2024 Elections.
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गिर रहे हैं और भी पुल, और बहुत सारे!!

(आलेख : बादल सरोज) कुछ हजार करोड़ में बने और अभी-अभी प्राण-प्रतिष्ठित बताये जाने वाले अयोध्या के मन्दिर की रिसन और उसकी ओर जाने वाली सड़कों का पाताल में समाना रुका भी
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न न्याय, न सुरक्षा : बदलना एक ‘लोकतांत्रिक’ राज्य का ‘पुलिस स्टेट’ में!

(आलेख : संजय पराते) पिछली संसद में 20 दिसंबर 2023 को 146 निलंबित विपक्षी सदस्यों, जो इस देश की 24 करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते थे, की अनुपस्थिति में बिना बहस पारित