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मुसलमानों के शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने में जामिया मिल्लिया इस्लामिया (स्थापना दिवस पर विशेष)

डॉक्टर मुहम्मद नजीब कासमी सम्भली 29 अक्टूबर 1920 की स्थापित “जामिया मिल्लिया इस्लामिया” को आज (29 अक्टूबर 2022) 102 वर्ष पूरे हो गये। हमारे पूर्वजों के खुलूस और उनकी अजीम कुर्बानियों ने
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सूर्य और चंद्रमा ग्रहण अल्लाह की दो अहम निशानियाँ

डॉ0 मुहम्मद नजीब क़ासमी संभली रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार, 25 अक्टूबर, 2022 को आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। खगोलशास्त्री की तहक़ीक़ के अनुसार सूर्य ग्रहण कई प्रकार के होते हैं: पूर्ण सूर्य
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UAPA के तहत हजारों पीड़ित

निकिता जैन (मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) यूएपीए के तहत हजारों पीड़ित सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा और
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प्रकाश को नमस्कार हमारी सांस्कृतिक परंपरा है

हृदयनारायण दीक्षित हम भारतीय सनातनकाल से प्रकाशप्रिय हैं। भारत का भा प्रकाशवाची है और ‘रत‘ का अर्थ संलग्नता है। भारत अर्थात प्रकाशरत राष्ट्रीयता। हम सब के चित्त में प्रकाश की अतृप्त अभिलाषा
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विनियोग की राजनीति: क्यों अम्बेडकर की विरासत मायने रखती है

राखी बोस (मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) 2014 में सत्ता में आने के बाद से, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बीआर अंबेडकर
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मोहसिने मिल्लत सर सैयद अहमद खां

मोहम्मद आरिफ नगरामी 1857 की पहली जंगे आजादी के बाद मायूसियों ने बहुत से लोगों, खास कर मुसलमानों को गिरफत मंे ले लिया था। वह शिकस्त की वजूहात और नये हालात के
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मोहन भागवत के शब्द खोखले क्यों हैं?

सूरज येंगड़े द्वारा लिखित(अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारा पुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) “वर्ण और जाति को त्याग देना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने गलतियाँ की हैं, और उन
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असहिष्णुता का शिकार: बी. आर. अंबेडकर

एम. ओ. मथाई, नेहरू के निजी सचिव मेरे एक मित्र पी.के. पणिकर जो संस्कृत के विद्वान और गहरे धार्मिक थे के माध्यम से, बी. आर. अंबेडकर मुझ में दिलचस्पी लेने लगे। मैंने
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रोशनी का मीनार हाजी वारिस अली शाह

मोहम्मद आरिफ़ नगरामी मुसलमान अपने दौरे फुतुहात में जहां कहीं भी गये अपने साथ इल्म तहज़ीब व तमददुन की रोशनी भी ले गये क्योंकि तारीख के इस राज को वह जान गये
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नव बौद्धों के लिए बाईस प्रतिज्ञाएं जरूरी क्यों?

एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट डा. बाबासाहेब भीमराव ने 14 अक्तूबर 1956 को पाँच लाख अनुयायियों के साथ नागपुर (दीक्षाभूमि) में हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म ग्रहण