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रोशनी का मीनार हाजी वारिस अली शाह

मोहम्मद आरिफ़ नगरामी मुसलमान अपने दौरे फुतुहात में जहां कहीं भी गये अपने साथ इल्म तहज़ीब व तमददुन की रोशनी भी ले गये क्योंकि तारीख के इस राज को वह जान गये
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नव बौद्धों के लिए बाईस प्रतिज्ञाएं जरूरी क्यों?

एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट डा. बाबासाहेब भीमराव ने 14 अक्तूबर 1956 को पाँच लाख अनुयायियों के साथ नागपुर (दीक्षाभूमि) में हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म ग्रहण
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समावेशी हिंदुत्व एक मिथक क्यों है?

हरीश वानखेड़े (मूल अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद: एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट) सबाल्टर्न हिंदुत्व का विचार एक प्रभावशाली राजनीतिक अभियान है जिसने भाजपा को सभी हिंदुओं की पार्टी
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मोहम्मद स. न होते तो कुछ भी न होता

मोहम्मद आरिफ नगरामी इन्सान अपनी जिन्दगी की रेनाईयों इसकी दिल फरीबों और उसकी शादाबियों दो आजेदों में यह भूल जाता है कि यह नेमतों कुदरत की अता करदा और उसकी फियाजियों की
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रहें न रहें हम, महका करेंगे…

मजरूह सुल्तानपुरी की जयंती 1 अक्टूबर पर विशेष -फ़िरदौस ख़ान गीत जब ज़ुबान पर चढ़ जाते हैं, तो वे सीधे दिल की गहराइयों में उतर जाते हैं. यह गीत के शब्दों का
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ज़िन्दगी की सांझ में बुज़ुर्गों का सहारा बनें

अंतरराष्ट्रीय बुज़ुर्ग दिवस (एक अक्टूबर) पर विशेष -फ़िरदौस ख़ान मां-बाप बड़े लाड़-प्यार से बच्चों की परवरिश करते हैं। उन्हें अच्छे से अच्छा खिलाने-पिलाने की कोशिश करते हैं। ख़ुद पुराने कपड़े बरसों तक
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स्वधर्म पर विधर्म के हमले को रोकने की एक कोशिश है भारत जोड़ो यात्रा

योगेंद्र यादव ‘‘भारत के स्वधर्म पर हो रहे विधर्म के घातक हमले को रोकने की एक कोशिश है भारत जोड़ो यात्रा।’’ मेरा यह संक्षिप्त सा जवाब था यात्रा के दौरान बार-बार इसके
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भारत जोड़ो यात्रा ने खोले दक्षिणायन के द्वार

योगेंद्र यादव क्या आपने दुनिया का दक्षिणाभिमुखी (साऊथ-अप) नक्शा देखा है? नहीं तो यहां क्लिक करके देखिए. दुनिया को देखने का नजरिया दक्षिणाभिमुखी नक्शे से एकदम उलट जाता है. अब तक नीचे
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क्या दलबदलुओं का साथ दे सकते हैं भगवान?

तौक़ीर सिद्दीक़ी दलबदल एक तरह से चुनावी अपराध है क्योंकि आप को जनता ने जिस पार्टी के नाम पर वोट देकर जिताया और आपने बाद में उन वोटरों के साथ विश्वासघात करके
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अपनी भाषा हिन्दी पर गर्व करें

-फ़िरदौस ख़ान हर भाषा की अपनी अहमियत होती है। फिर भी मातृभाषा हमें सबसे प्यारी होती है, क्योंकि उसी ज़ुबान में हम बोलना सीखते हैं। बच्चा सबसे पहले मां ही बोलता है।